उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। अब गांव-गांव तक मौसम की सटीक जानकारी पहुंचाने की तैयारी अंतिम चरण में है। राज्य के हर जिले में अब आधुनिक वर्षामापी यंत्र लगाए जा रहे हैं, जिससे किसानों को बारिश, हवा की दिशा, नमी और तापमान जैसी सूचनाएं रियल टाइम में उपलब्ध होंगी। यह पूरी पहल केंद्र सरकार की ‘वेदर इन्फॉर्मेशन नेटवर्क डाटा सिस्टम (WINDs)’ योजना के तहत की जा रही है, जिसमें उत्तर प्रदेश अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
इस महत्वाकांक्षी योजना की जानकारी आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र, लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार के कृषि विभागों द्वारा संयुक्त रूप से इस प्रोजेक्ट को जमीन पर उतारने के लिए राज्य भर में सर्वे का कार्य शुरू कर दिया गया है। यह योजना फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के रूप में देशभर के विभिन्न राज्यों में लागू की जा रही है, जिसका मुख्य उद्देश्य किसानों तक सटीक और त्वरित मौसम सूचना पहुंचाना है।
इस योजना के अंतर्गत लगाए जाने वाले वर्षामापी यंत्र पूरी तरह ऑटोमेटिक होंगे। ये उपकरण मौसम से जुड़ी सभी जानकारियां जैसे—वर्षा की मात्रा, हवा की गति और दिशा, वातावरण में नमी आदि को सेंसर के माध्यम से इकट्ठा कर एक केंद्रीकृत सर्वर पर भेजेंगे। इस डेटा को फिर एक मोबाइल एप्लिकेशन के जरिए किसानों तक पहुंचाया जाएगा, जिससे किसान अपने खेतों में मौसम के अनुसार कृषि गतिविधियों की समयबद्ध योजना बना सकें।
उत्तर प्रदेश के कृषि निदेशक डॉ. जितेंद्र कुमार तोमर ने बताया कि राज्य में 132 ऑटोमेटिक रेनगेज (ARG) और 68 ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन (AWS) पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं। आने वाले समय में इनकी संख्या को और बढ़ाया जाएगा। योजना के तहत राज्य की 55,570 ग्राम पंचायतों और 308 ब्लॉकों को कवर किया जाना है। प्रत्येक ब्लॉक में एक AWS और हर ग्राम पंचायत में एक ARG स्थापित किया जाएगा।
इस योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए कार्यदायी संस्था के रूप में Skymet को चुना गया है। टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद विभिन्न जिलों में वर्षामापी यंत्रों की स्थापना शुरू कर दी गई है। ये सभी यंत्र आधुनिक तकनीक से लैस होंगे और मौसम विभाग की निगरानी में कार्य करेंगे।
डॉ. तोमर ने आगे बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में अनिश्चितता बढ़ गई है। बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और अतिवृष्टि जैसी घटनाओं से किसान लगातार प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में मौसम की पूर्व जानकारी होना बेहद जरूरी है ताकि किसान समय रहते फसल की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठा सकें। उन्होंने कहा कि ये उपकरण हवा की गति और दिशा, नमी का स्तर, और वर्षा की मात्रा के साथ यह भी संकेत देंगे कि फसल में सिंचाई कब की जाए, जिससे पानी की भी बचत होगी और फसल को भी नुकसान नहीं पहुंचेगा।
‘WINDs’ योजना किसानों के लिए एक गेमचेंजर साबित हो सकती है, क्योंकि इसके माध्यम से मौसम संबंधी पूर्वानुमान अब किसी अनुमान पर नहीं, बल्कि वैज्ञानिक डेटा पर आधारित होगा। इससे किसानों को अपनी फसलों के चयन, बुवाई के समय, सिंचाई और कटाई की योजना बनाने में बड़ी सहायता मिलेगी।
कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले वर्षों में तकनीक आधारित खेती ही स्मार्ट एग्रीकल्चर का भविष्य होगी और इस दिशा में उत्तर प्रदेश की यह पहल पूरे देश के लिए एक मॉडल बन सकती है।