कृषि पिटारा

प्याज की महंगाई का संकट, महाराष्ट्र में खरीफ फसल की देरी के कारण बढ़ रही चिंता

नासिक: प्याज के प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में खरीफ फसल की आवक में देरी हो रही है, जिसके कारण मांग पर दबाव बढ़ गया है। महाराष्ट्र के नासिक जिले की मंडियों में एक सप्ताह के भीतर प्याज की कीमतें लगभग 30% तक बढ़ गई हैं, जो प्याज उपभोक्ताओं को परेशानी में डाल रही है। महाराष्ट्र, भारत का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक राज्य है और महाराष्ट्र में सबसे बड़ा प्याज उत्पादक जिला नासिक है। महाराष्ट्र का नासिक जिला देश में प्याज के मूल्यों के लिए मानक के रूप में जाना जाता है।

पहले, अगस्त में प्याज की कीमतों में वृद्धि हो रही थी, लेकिन सरकार ने 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाकर प्याज के मूल्यों को कम किया था। हालांकि, अब फिर से मूल्यों में वृद्धि दर्ज की जा रही है और इस पर सरकार की नजर है। सूत्रों के मुताबिक, अक्टूबर में दिल्ली और कई अन्य राज्यों में प्याज के थोक मूल्यों में हाल के महीने 5 से 7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि महाराष्ट्र में, यह वृद्धि 15 प्रतिशत तक हो रही है। इसका मतलब है कि महाराष्ट्र में प्याज के मूल्यों में अधिक तेजी से बढ़ोतरी हो रही है और इस दिशा में वो राज्य अग्रणी है, जहां यह चिंता का सबब बन गया है। दूसरी ओर, उत्तरी महाराष्ट्र के प्याज क्षेत्र में बारिश की कमी के कारण प्याज की उपज में कमी हो रही है और प्याज किसानों को नुकसान हो रहा है। अच्छी गुणवत्ता वाले प्याज की कमी भी एक बड़ी समस्या है।

प्याज के भाव में तेजी किसानों के लिए अच्छा माना जा सकता है क्योंकि वे लंबे समय से उचित मूल्य नहीं पा रहे थे। उन्हें बेहतर मूल्य मिलना एक बड़ी खबर हो सकती है। महाराष्ट्र के अलावा दूसरे राज्यों में प्याज की कीमतों में इसी समय कम वृद्धि दर्ज की जा रही है, लेकिन यह नासिक क्षेत्र के मुकाबले कम है। प्याज की बढ़ती कीमतें उपभोक्ताओं के लिए चिंता का कारण है, लेकिन किसानों के लिए यह एक राहत की बात हो सकती है। खराब मौसम की वजह से काफी प्याज किसानों को नुकसान हो रहा है, और बढ़ती कीमतों से उन्हें आर्थिक सहारा मिल सकता है। प्याज की कीमतों में वृद्धि के बावजूद, यह महत्वपूर्ण है कि सरकार उपभोक्ताओं की चिंता को भी ध्यान में रखे और किसानों के हित में भी उचित कदम उठाए।

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