मंडी भाव

देशभर की मंडियों में प्याज की कीमतों में गिरावट, किसानों को हो रहा भारी नुकसान

नई दिल्ली: देश के प्रमुख प्याज उत्पादक राज्यों में इस समय किसानों की आर्थिक हालत नाजुक बनी हुई है। अधिक उत्पादन और भारी आवक के चलते थोक मंडियों में प्याज की कीमतें इतनी नीचे पहुंच गई हैं कि लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है। रबी सीजन में बेहतर मॉनसून के कारण बंपर पैदावार तो हुई, लेकिन अब यही अधिक उत्पादन किसानों पर भारी पड़ गया है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और गुजरात की मंडियों से मिल रही रिपोर्ट्स बताती हैं कि अधिकांश जगहों पर प्याज का भाव 10 रुपये प्रति किलो से नीचे बना हुआ है, जो किसानों की उम्मीदों और लागत दोनों के विपरीत है।

मध्य प्रदेश: लागत से भी नीचे भाव

मध्य प्रदेश की मंडियों में प्याज की मॉडल कीमतें औसतन 700 से 1300 रुपये प्रति क्विंटल (यानी 7 से 13 रुपये प्रति किलो) के बीच रही। देवास, गौतमपुरा, रतलाम और सेंधवा जैसी प्रमुख मंडियों में न्यूनतम भाव तो 250 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गया। सोयतकला मंडी में प्याज की एक समान 402 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत दर्ज की गई, जो किसान की लागत के मुकाबले बेहद कम है।

उत्तर प्रदेश: हालात ज्यादा बेहतर नहीं

उत्तर प्रदेश की प्रमुख मंडियों — अकबरपुर, हरगांव, अमरोहा, जहांगीराबाद और जसवंतनगर में प्याज की अधिकतम कीमत 1290 रुपये प्रति क्विंटल तक ही पहुंच पाई, यानी अधिकतम भाव भी 13 रुपये किलो से ज्यादा नहीं गया। अधिकांश मंडियों में मॉडल भाव 950 से 1240 रुपये प्रति क्विंटल रहा। ऐसे में किसानों को मुनाफे की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही।

राजस्थान: डूंगरपुर में थोड़ी राहत

राजस्थान की मंडियों में कुछ जगहों पर किसानों को राहत जरूर मिली। डूंगरपुर मंडी में प्याज की मॉडल कीमत 2800 रुपये प्रति क्विंटल (28 रुपये प्रति किलो) रही, जो देशभर की तुलना में काफी अच्छी मानी जा रही है। हालांकि बाकी मंडियों जैसे कोटपुतली, संगरिया, श्रीगंगानगर और सूरतगढ़ में कीमतें अधिकतम 2200 रुपये प्रति क्विंटल तक ही पहुंच सकीं।

गुजरात: कीमतें बेहद निचले स्तर पर

गुजरात की जेतपुर मंडी में प्याज की न्यूनतम कीमत सिर्फ 155 रुपये प्रति क्विंटल रही, जो डेढ़ रुपये प्रति किलो से भी कम है। सूरत, राजकोट, पादरा और दाहोद जैसी मंडियों में मॉडल कीमतें 700 से 1450 रुपये प्रति क्विंटल के बीच रही। यानी यहां भी किसानों को लागत निकालना मुश्किल हो रहा है।

प्याज की गिरती कीमतों पर किसान चिंतित

किसानों का कहना है कि उत्पादन तो अच्छा हुआ लेकिन कीमतें गिरने से अब उन्हें फसल का सही मूल्य नहीं मिल पा रहा। कई किसानों ने सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करने या खरीदारी की व्यवस्था लागू करने की मांग की है। उत्तर प्रदेश के अमरोहा के एक किसान हरीश पाल ने कहा, “पिछले साल प्याज का भाव अच्छा था, इसलिए इस बार ज्यादा बोया। लेकिन अब मंडी में हमें 8 से 10 रुपये किलो से ज्यादा नहीं मिल रहा। इतनी लागत लगाकर इतना कम दाम मिलना तो नुकसान ही है।”

क्या कहता है बाजार विश्लेषण?

विशेषज्ञों के अनुसार, इस बार रबी सीजन में प्याज की बुवाई 10–12% ज्यादा हुई थी और उत्पादन भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा है। बिक्री के लिए एक साथ भारी आवक होने से बाजार में प्याज की कीमतें टूट गई हैं। जब तक आवक का दबाव कम नहीं होता, तब तक कीमतों में सुधार की संभावना कम है।

देश की मंडियों में प्याज की बंपर पैदावार ने इस बार किसानों की जेबें खाली कर दी हैं। सरकार को चाहिए कि कृषि उत्पादों के दाम स्थिर रखने के लिए सक्रिय नीति अपनाए और जरूरत पड़ने पर प्याज की सरकारी खरीद या भंडारण योजना शुरू करे। वरना अगली फसलों के लिए किसानों का उत्साह कम हो सकता है, जिससे देश की खाद्य सुरक्षा और उत्पादन चक्र भी प्रभावित हो सकता है।

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