एक समय था जब पराली जला कर बिजली पैदा करने की बात पर कोई ताज्जुब करता. मगर आज बात दूसरी है. एक ओर पराली जलाने का दोहरा नुकसान है मसलन इससे जमीन की उर्वरता तो नष्ट होती ही है साथ ही वायुमंडल भी गहरे तौर पर प्रदूषित होता है. वहीं दूसरी ओर, आज विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि पराली जलाने के एवज में होने वाले दोनों नुकसानों भूमि व वायु प्रदुषण के जगह पर बिजली पैदा होने लगी है. इससे आमदनी के साथ-साथ उर्जा की ज़रूरतें भी पूरी होंगी.
इस दिशा में पहल की है नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन यानी एनटीपीसी ने. एनटीपीसी के दादरी स्थित पावर प्लांट में पराली और अन्य कृषि अवशेषों के जरिये बिजली का उत्पादन शुरू कर दिया गया है. इसकी जानकारी एनटीपीसी ने एक बयान के जरिये दी है. बयान के अनुसार धान की पराली और अन्य कृषि अवशेषों से बनी पेलेट्स से बिजली की निर्माण किया जा रहा है.
फिलहाल एनटीपीसी के दादरी स्थित प्लांट में धान की पराली व विभिन्न कृषि अवशेषों के बने प्लेट्स के जरिये बिजली का आंशिक रूप से उत्पादन शुरू कर दिया गया है. वैसे यह उत्पादन फिलहाल सीमित मात्रा में ही हो रहा है. जिसकी वजह ये है कि अभी इस प्लांट में पराली के प्लेट्स की आपूर्ति छोटे स्तर पर ही हो पा रही है. एनटीपीसी के अनुसार जल्द ही इस समस्या से निजात पा लिया जाएगा और आने वाले समय में बड़े स्तर पर पराली से बिजली का उत्पादन होगा. देश भर में एनटीपीसी के सभी 21 पावर प्लांट्स में पराली और कृषि अवशेषों से बिजली के उत्पादन की योजना बनाई गयी है. यही नहीं, प्लेट्स की सुचारू आपूर्ति के लिए एनटीपीसी ने निविदा भी आमंत्रित की है. कहा जा सकता है कि कौड़ियों के मोल वाली पराली के जरिये जल्द ही किसानों के दिन बदलने वाले हैं.