समस्तीपुर: जून का महीना मौसम में बदलाव का संकेत लेकर आता है – कभी तपती गर्मी, कभी आंधी और कभी-कभी हल्की फुहारें। यही वह समय है जब खेतों में खरीफ फसलों की तैयारी जोरों पर होती है, और गरमी की सब्जियों में कीटों का प्रकोप भी बढ़ जाता है। डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा (समस्तीपुर) के कृषि वैज्ञानिकों ने इस महीने के लिए किसानों को खास सुझाव दिए हैं।
अल्प अवधि व सुगंधित धान की नर्सरी डालने का सही समय
विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों का कहना है कि 20 जून से लेकर 10 जुलाई तक किसान अल्प अवधि और सुगंधित धान की नर्सरी डाल सकते हैं। यह समय नर्सरी के लिए उपयुक्त है और पौध मजबूत तैयार होती है, जिससे आगे फसल का उत्पादन भी बेहतर होता है।
खरीफ मक्का की बुवाई के लिए उपयुक्त समय
खरीफ मौसम में धान का बेहतर विकल्प मक्का हो सकता है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, जो किसान पहली बार खरीफ में मक्का लगाना चाहते हैं, उनके लिए यह समय बेहद अनुकूल है। विशेषज्ञों ने शक्तिमान-1, शक्तिमान-2, शक्तिमान-5, राजेंद्र शंकर मक्का-3 और गंगा-11 जैसी उन्नत किस्मों के बीज की सिफारिश की है। बुवाई से पहले 250 ग्राम थीरम प्रति किलो बीज से बीजोपचार करना जरूरी बताया गया है। मक्का की बुवाई 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से करें और 30 किग्रा नाइट्रोजन, 60 किग्रा फॉस्फोरस, व 50 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर डालें।
सब्जियों में कीटों और रोगों से सतर्क रहें
जून के महीने में गरमी की फसलों जैसे भिंडी, नेनुआ, करेला, लौकी और खीरा में कीटों और बीमारियों का प्रकोप बढ़ने की आशंका बनी रहती है। वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि किसान इन फसलों की नियमित निगरानी करें और समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहें। यदि किसी तरह का कीट या रोग दिखाई दे, तो अनुशंसित कीटनाशकों का छिड़काव करें ताकि फसल को नुकसान न पहुंचे।
पशुपालकों को भी सतर्क रहने की जरूरत
विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि किसान हरे चारे की खेती शुरू करें। इसके लिए ज्वार, बाजरा, मक्का जैसे फसलें बोई जा सकती हैं। चारे की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए मेथी, लोबिया और राइस बीन की अंतर्वर्ती खेती करने की सलाह दी गई है। इसके साथ ही, पशुओं में जून के महीने में बीमारियों का खतरा भी रहता है। विशेषज्ञों ने पशुपालकों से एंथ्रेक्स, ब्लैक क्वार्टर (डकहा) और एच.एस. (गलघोंटू) जैसी बीमारियों से बचाव के लिए समय पर टीकाकरण कराने की अपील की है।
कुल मिलाकर जून का महीना खेती और पशुपालन की दृष्टि से काफी अहम है। थोड़ी सी सावधानी और वैज्ञानिक सलाह से किसान अपनी उपज और आमदनी, दोनों में बढ़ोतरी कर सकते हैं।