नई दिल्ली: 1 फरवरी 2019 को केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की थी। यह योजना विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों को आर्थिक मदद पहुंचाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। इसके तहत् जिन सीमांत किसानों के पास दो हेक्टेयर तक भूमि है उन्हें प्रत्येक वर्ष 6000 रुपए की आर्थिक सहायता दी जाती है। यह राशि किसानों के बैंक खाते में दो-दो हजार रुपए की तीन किस्तों में डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर के अंतर्गत्त भेजी जाती है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत से लेकर अब तक इसकी 9 किस्तें जारी हो चुकी हैं। कृषि मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार 30 जून 2021 तक इस योजना के तहत् कुल 68 करोड़ 76 लाख 55 हजार 195 ट्रांजेक्शन किए गए हैं। इनमें से एक प्रतिशत से कम यानी 61 लाख 04 हजार 877 ट्रांजेक्शन फेल हुए हैं। फेल हुए ट्रांजेक्शन में से केवल 34 प्रतिशत यानी 20 लाख 88 हजार 10 ट्रांजेक्शन को दोबारा प्रोसेस कर किसानों को पैसा दिया गया है। फेल्ड ट्रांजेक्शन की वजह से लगभग 40 लाख किसान योजना का लाभ पाने से वंचित रह गए हैं। जबकि, नियम के अनुसार अगर पीएम किसान योजना के तहत पहले प्रयास में ट्रांजेक्शन फेल हो जाता है तो इसे दोबारा प्रोसेस कर किसानों के खाते में पैसा भेजने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है। ऐसे में यह बात स्पष्ट है कि राज्य सरकारों की उदासीनता की वजह से अब तक देश के कुल 40 लाख किसान योजना का लाभ पाने से वंचित रह गए हैं।
आपको बता दें कि 2015-16 की कृषि जनगणना के अनुसार, देश में दो हेक्टेयर से कम भूमि वाले 86.2 प्रतिशत छोटे और सीमांत किसान हैं। ऐसे किसानों की संख्या उत्तर प्रदेश और बिहार में सबसे अधिक है। पीएम किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत्त उत्तर प्रदेश के कुल 10 लाख 95 हजार 225 किसानों के ट्रांजेक्शन फेल हुए जबकि बिहार में यह संख्या 1 लाख 38 हजार 909 रही। जहाँ तक ऐसे किसानों के खाते में दोबारा पैसे भेजने का सवाल है तो उत्तर प्रदेश के केवल 91 हजार 908 किसानों को ही फेल्ड ट्रांजेक्शन के बाद पैसे मिले। वहीं, बिहार के सिर्फ 9493 किसानों को ही दोबारा पैसा भेजा गया।