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प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के तहत 32 परियोजनाओं को मिली मंजूरी

नई दिल्ली: बीते 21 से 26 फरवरी के दौरान अंतर-मंत्रालयी अनुमोदन समिति (आईएमएसी) की बैठक में प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना की ‘यूनिट’ स्कीम के तहत 17 राज्यों की कुल 32 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इस बैठक की अध्यक्षता केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल के द्वारा की गयी। माना जा रहा है कि इस बैठक में जिन परियोजनाओं को मंजूरी दी गयी है उनपर लगभग 406 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। इन परियोजनाओं के जरिये ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के विभिन्न अवसर उत्पन्न होंगे, जिसकी वजह से लगभग पंद्रह हजार व्यक्तियों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में रोजगार हासिल हो सकेगा।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के माध्यम से भारत सरकार व्यवसाय में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए सभी प्रयास कर रही है। इसके तहत सरकार द्वारा संयुक्त उपक्रम, विदेशी सहयोग, औद्योगिक लाइसेंस और 100 प्रतिशत निर्यात उन्मुख इकाइयों के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है।

अपनी असीम क्षमताओं के कारण खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में विकास की काफी संभावनाएं हैं। अगर पिछले पांच वर्षों के आँकड़ों की बात करें तो इसकी सकल वार्षिक विकास दर करीब 8 प्रतिशत बनी हुई है। जिन परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, वे देश के 100 कृषि जलवायु क्षेत्रों में हैं। ऐसा अनुमान है कि 2020 तक देश का खाद्य प्रसंस्करण बाजार 14.6 प्रतिशत सीएजीआर की दर से बढ़कर 543 अरब डॉलर का हो जाएगा। 2016 में यह 322 अरब डॉलर का था।

घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारतीय किसानों को उपभोक्ताओं से जोड़ने में खाद्य प्रसंस्करण की महत्वपूर्ण भूमिका है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग अर्थव्यवस्था की दिशा में बेहतर योगदान के लिए किसानों, सरकार और बेरोजगार युवाओं के बीच कड़ी का काम कर सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में आधुनिक प्रसंस्करण तकनीकों के विस्तार से कृषि उपज को ज्यादा दिन सुरक्षित रखने में मदद मिलती है। इससे किसानों की लगातार आमदनी होती रहती है।

आपको बता दें कि, खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने 2016-20 की अवधि के लिए 6,000 करोड़ रुपये की लागत से प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना की शुरूआत की है। इसके तहत मेगा फूड पार्क लगाने, एकीकृत प्रशीतन गृहों की श्रृंखला, मूल्यनवर्धन अवसंरचना, कृषि प्रसंस्करण क्लस्टरों के लिए अवसंरचना विकास तथा अन्य कई प्रकार की सुविधाएं शुरू की गई हैं। इस योजना का मुख्य उद्देश्य मौजूदा खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों का आधुनिकीकरण, विस्तार, और मूल्यवर्धन करना है तथा उनकी प्रसंस्करण और संरक्षण क्षमताओं को बढ़ाकर कृषि उपज की बर्बादी को रोकना है।

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