नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने कहा है कि, “पहले देश के किसान के पास मिट्टी की गुणवत्ता को लेकर जानकारी का अभाव हुआ करता था, अब सॉयल हेल्थ कार्ड अभियान चलाने से किसानों को बहुत लाभ हुआ है। पिछले आठ वर्षों में मिट्टी को जीवंत बनाए रखने के लिए निरंतर काम हुआ है। इस दौरान मिट्टी को रसायन मुक्त बनाने, मिट्टी में रहने वाले जीवों को बचाने, मिट्टी की नमी को बनाए रखने और उस तक जल की उपलब्धता बढ़ाने, भूजल कम होने की वजह से मिट्टी को हो रहे नुकसान को दूर करने और वनों का दायरा कम होने से मिट्टी के लगातार क्षरण को रोकने पर सरकार का ध्यान केंद्रित रहा। सरकार के प्रयासों से किसानों को काफी लाभ हुआ है। कृषि लागत में कमी आई है और पैदावार में वृद्धि दर्ज हुई है।”
उन्होंने कहा कि, “आज मिट्टी स्वस्थ हो रही है तो उत्पादन भी बढ़ रहा है। सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देने की वजह से और अटल योजना की वजह से देश के अनेक राज्यों में मिट्टी की सेहत भी संवर रही है। पिछले आठ वर्षों में भारत के वन क्षेत्र में 20,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक की वृद्धि हुई है और वन्यजीवों की संख्या में भी रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। आज चाहे बाघ हों या शेर हों या तेंदुए या फिर हाथी, सभी की संख्या देश में बढ़ रही है। पूरे देश में 22 करोड़ से ज्यादा सॉयल हेल्थ कार्ड जारी किए गए हैं और मिट्टी की गुणवत्ता की जांच का एक बहुत बड़ा नेटवर्क भी तैयार हुआ है। इस वजह से किसानों की लागत में 8 से 10 प्रतिशत की बचत हुई है और उपज में बढ़ोतरी देखी गई है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि, “पर्यावरण की रक्षा के लिए आज भारत इनोवेशन और पर्यावरणीय प्रौद्योगिकी पर लगातार जोर दे रहा है। एलईडी बल्ब की उजाला योजना से सालाना लगभग 40 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन कम हो रहा है। भारत ने अपनी स्थापति ऊर्जा उत्पादन क्षमता का 40 प्रतिशत गैर जीवाश्म ईंधन आधारित स्रोतों से हासिल करने का लक्ष्य तय किया था और उस लक्ष्य को उसने तय समय से नौ साल पहले ही हासिल कर लिया है।” उन्होंने यह भी कहा कि, “देश में ये भी पहली बार हुआ है, जब हमारे गांवों और शहरों को स्वच्छ बनाने, ईंधन में आत्मनिर्भरता, किसानों को अतिरिक्त आय और मिट्टी के स्वास्थ्य के अभियानों को हमने एक साथ जोड़ा है।” गोबरधन योजना का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि, “इसके तहत बायोगैस प्लांट्स से गोबर और खेती से निकलने वाले अन्य कचरे को ऊर्जा में बदला जा रहा है।”
उन्होंने यह भी कहा कि, “इस साल के बजट में सरकार ने तय किया है कि गंगा के किनारे बसे गांवों में नेचुरल फार्मिंग को प्रोत्साहित करेंगे और नेचुरल फॉर्मिंग का एक विशाल कॉरिडोर बनाएंगे। इससे हमारे खेत तो केमिकल फ्री होंगे ही, नमामि गंगे अभियान को भी नया बल मिलेगा।”