नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10 सितंबर को डिजिटल माध्यम से की थी। यह मत्स्य क्षेत्र पर केन्द्रित और सतत विकास योजना है। इसे वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25 तक पांच वर्ष की अवधि के दौरान आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में कार्यान्वित किया जाना है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के जरिये विभिन्न उपायों के द्वारा मछली पालन को प्रोत्साहित किया जाएगा।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत वर्तमान मछली उत्पादन को 150 लाख टन से बढ़ाकर 220 लाख टन तक करने की दिशा में प्रयास किया जाएगा। इसके तहत मछली पालन के निर्यात को भी बढ़ाकर एक लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए इस योजना पर अगले 5 वर्षों में लगभग 20,050 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। मछली पालन के क्षेत्र में आजादी के बाद से अब तक का यह सबसे बड़ा निवेश है।
इस योजना के तहत अब तक मत्स्य विभाग ने पहले चरण में 21 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 1723 करोड़ रुपये के प्रस्तावों को मंजूरी दी है। इसके तहत आय सृजन वाली गतिविधियों को प्राथमिकता दी गई है। सरकार प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से देशभर में लगभग 55 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा करना चाहती है। इसके अलावा मछुआरों व मत्स्य किसानों की आय को दोगुनी करना और पैदावार के बाद होने वाले नुकसान को 20-25 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने का भी लक्ष्य रखा गया है।