कृषि पिटारा

इस बीमारी के टीकाकरण को लेकर मवेशियों में दिख रहे हैं सकारात्मक परिणाम

नई दिल्ली: गाय-भैंस, भेड़-बकरी और सूअर  लिए खुरपका-मुंहपका (एफएमडी)  एक जानलेवा बीमारी है। इस बीमारी के खिलाफ चलाए जा रहे टीकाकरण अभियान के दूसरे चरण में बड़ी कामयाबी मिली है। ऐसे में पशुपालकों को राहत मिलने के साथ-साथ देश में दूध, मांस और अंडे के उत्पादन में भी वृद्धि दर्ज की गई है।

मत्सय पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के सचिव, श्री राजेश कुमार सिंह ने बताया कि पशुपालकों में जागरूकता की वृद्धि के परिणामस्वरूप दूसरे चरण के टीकाकरण अभियान में महत्वपूर्ण सफलता मिली है। दूसरे चरण में लगभग 24.18 करोड़ पशुओं को एफएमडी के खिलाफ टीका लग चुका है। टीकाकरण का तीसरा चरण भी अब शुरू हो गया है। अभियान की महत्वपूर्ण उपलब्धियों के तहत, मंत्रालय ने रिपोर्ट जारी की है जिसके अनुसार देश में दूध, मांस और अंडे के उत्पादन में वृद्धि दर्ज की गई है। खासकर दूध के उत्पादन में बड़ी वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप सरकार बिना किसी रुकावट के एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए एफएमडी को जड़ से खत्म करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है।

मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2020-21 में 16.91 करोड़ पशुओं के टीकाकरण का काम पूरा हुआ था, लेकिन तकनीकी कमियों की वजह से अभियान में थोड़ी देर हुई थी। हालांकि, दूसरे चरण के साथ-साथ पशुपालकों में जागरूकता की बढ़ोतरी हुई और लोग टीकाकरण करवाने के लिए सक्रिय हो गए। इससे देश के अधिकांश राज्यों ने तेजी से दूसरे चरण के लक्ष्यों को पूरा किया। दूसरे चरण के तहत, 25.01 करोड़ पशुओं में से 24.18 करोड़ गाय-भैंस का टीकाकरण हो चुका है, जिसमें दक्षिण भारत के अधिकांश राज्य शामिल हैं। तीसरे चरण के तहत अब 5.22 करोड़ पशुओं को टीका लगाया गया है।

मंत्रालय की रिपोर्ट की मानें तो, यूपी और चंडीगढ़ में एफएमडी के खिलाफ 100 फीसदी टीकाकरण पूरा हो चुका है। यूपी में गाय-भैंस की संख्या करीब 4.69 करोड़ है और सभी पशुओं का टीकाकरण हो चुका है। चंडीगढ़ में भी 18900 गाय-भैंस का टीकाकरण पूरा हो चुका है। उपरोक्त प्रगति की रूपरेखा के साथ, देश एफएमडी के खिलाफ टीकाकरण अभियान में महत्वपूर्ण कदम बढ़ा रहा है और इससे पशुपालकों को दूसरे चरण के तहत सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं।

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