एक मात्र दिशा जिसमे ज्यादातर भारतीय डच गुलाब उत्पादको का सबसे कम ध्यान केन्द्रित होता है वह है डच गुलाब का तुडाई पश्चात् प्रबन्धन जिसकी वजह से डच गुलाब उत्पादको को भारतीय एवं विदेशी बाजारो से अपने उत्पादों का उचित मूल्य नही मिल पाता है। अच्छे तुडाई उपरान्त प्रबन्धन के लिए फार्म पर जाने वाली कार्यवाही (सस्य क्रियाओं) पर डच गुलाब उत्पादक को तेज नजर रखने की आवश्यकता होती है।
आज ज्यादातर डच गुलाब के व्यवसायिक परियोजनाओ में तुडाई उपरान्त उपचार एवं प्रबन्धन में कमिया पायी जाती है। अगर आप किसी डच गुलाब के फार्म के चैकिंग हाउस मे जाऐगे तो आपको डच गुलाब के भिन्न-भिन्न कट स्टेज के फूल नजर आयेगें। यह खामियाँ दूर की जा सकती है पर इसके लिए सुपरवाइजरों एवं डच उत्पादको को अपने हरित गृृह (पोली हाउस) में ज्यादा समय गुजारना होगा एवं सही कट स्टेज के डच गुलाब की सही समय कटाई करवानी होगी।
कुछ ही डच उत्पादक ऐसे है जिन्हे डच गुलाब की विभिन्न किस्मों की कट स्टेज के बारे में जानकारी है और वह ऋतुओं (तापमान डच गुलाब की बढवार के समय), फूलो की पखुडियों की संख्या के आधार पर, साथ ही बाजार से दूरी को ध्यान में रखकर डच गुलाब के पोली हाउस मे कार्य करने वाले श्रमिकों के लिए सही दिशा निर्देश देते है और सही कट स्टेज तय करते है जिससे एक जैसी ओपनिंग (वचमदपदह)वाले फूलो की कटाई संभव हो पाती है।
साथ ही इस विषय पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए की कटाई उपरान्त वह कम से कम समय के लिए लाईट (रोशनी) में रहे। अगर इसमें किसी प्रकार की कोताही बरती जाती है तो वह फूल जल्दी खिल जायेंगे और लम्बे समय तक ग्राहक के पास नहीं रह पायेगें। यानि उन डच गुलाबो की वेज लाईफ (टंेम स्पमि) कम हो जायेगी। आमतौर पर डच गुलाबो की वेज लाईफ 10 से 15 दिन तक रहता है जोकि विभिन्न कारको पर निर्भर करती है जैसे उसकी कट स्टेज जिस पर उसकी कटाई की गई है। बाल्टी में रखे 8-10 मीटर पानी की गुणवता पर, फूलो के परिरक्षण के लिए काम से लिया गया पदार्थ, फूलो की कटाई के पश्चात् से लेकर बाल्टी में रखने तक लगने वाला समय का अर्न्तराल, बाल्टी में कटाई करने के बाद रखे जाने वाले डच गुलाब की डण्डीयों की संख्या हरित गृृह में बाल्टियों मे डच गुलाब रखने के पश्चात् से लेकर पैक हाउस तक स्थानातरित करने मे लगने वाला समय, कोल्ड चैन प्रबन्धन एवं बाजार से दूरी जैसे कुछ अहम मुद्दे है जो फूलो की वेज (टंेम) लाइफ को प्रभावित करते है। पैक हाउस को ” फार्म का दर्पण“ भी कहते है। अगर पैक हाउस से अच्छी गुणवता के फूल है तो हम कह सकते है फार्म का प्रबन्धन सही है अन्यथा नहीं।
हरित गृृह में डच गुलाब स्वंय बनाने है कि अब वे कटाई के लिए तैयार है। साथ ही हरित गृृह में जाते ही फूल यह बनाते है कि उनकी देखभाल ठीक हो रही है या नहीं। हरित गृृह में प्रवेश करते ही फूल सीधी बात करते है। हरित गृृह में उत्पादित डच गुलाब तो प्राकृृतिक की असीम देन है। डच गुलाब की खेती में अच्छी गुणवता एवं ज्यादा संख्या में फूलो की डण्डिया प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण गुर यह है कि पतली डण्डियो को बैंड (ठमदक) करे और स्टॉग (मोटी) डण्डियों को सिकेटियर (कैंची) से काटे। मोटी फूलों की डण्डियों पर मोटी फूलो की डण्डियॉ ही आती है। दूसरा हमेशा कम से कम पतली डण्डियाँ डच गुलाब के पौधो पर रहनी चाहिए। इसके लिए अन्डर कट का तरिका भी काम से लिया जा सकता है। ध्यान रहे यह करने वक्त पौधे पर बहुत सारी पतियाँ होनी चाहिए।
तुडाई उपरान्त डच गुलाब की प्रबन्धन मे आने वाली समस्याओं की शुरूआत हरित गृृह में फूलो की कटाई से ही हो जाती है। अच्छी गुणवता और ज्यादा उत्पादन दोनो एक सिक्के के दो पहलू की तरह है पर एक अच्छा डच गुलाब उत्पादक वह होता है जो कि फूलो की अच्छी गुणवता और ज्यादा उत्पादन के बीच सामाजसय स्थापित कर लेता है।
”एक डच गुलाब उत्पादक की आँखे एक गीद (म्ंहसम) पक्षी के समान होनी चाहिए, अगुलियाँ सर्जन (ैनतहमवद) की तरह नाजुक होनी चाहिए और दिल शेर के समान सुðढ होना चाहिए।” यानि हरित गृृह मे प्रवेश करते है उसे पता चल सके कह किसी प्रकार के किट या बिमारियों का प्रकोप तो डच गुलाब पर नही है। फूल बढे ही नाजुक होते है इसलिए बडी सावधानीपूर्वक उसकी हैण्डलिग करनी पडती है। अगर किसी प्रकार की कोताही की वजह से कोई नुकसान हो जाये तो उसे बर्दास्त करने की ताकत उसमे होनी चाहिए। डच गुलाब हरित गृृह से व्यवसायिक उत्पादन एक बार रोपण के पश्चात् 7 वर्षो तक प्राप्त किया जा सकता है। डच गुलाब के पौधे काफी सुðढ होते है अतः इसे सिखने वालो (स्मंतदमते ब्तवच) की फसल भी कहते है।
मापदण्डो जिनको अपनाकर अच्छी गुणवता के डच गुलाब प्रगतिशील कृृषक अपने हरित गृृह में प्राप्त कर सकता है।
1) डच गुलाब की सही कट स्टेज का विवेक पूर्वक चयन करके।
2) हमेशा परिपक्व पाँच पतियों पर कट लगाकर।
3) आँख से 1 सेन्टिमीटर उपर तिरछा कट लगाकर।
4) फूल की डण्डियों की कटाई दिन मे दो से तीन बार करे।
5) कटाई उपरान्त फूलो की डण्डियों को जल्दी से जल्दी पानी मे रखे।
6) 50 लीटर क्षमता वाली साफ सुथरी प्लास्टिक की बाल्टी मे 8-10 लीटर स्वच्छ पानी का प्रयोग करे।
7) वेज लाईफ बढाने के लिए फूलो के परिरक्षको (थ्सवतंस च्तमेमअंजपअम) का प्रयोग करे। 15 पी. पी. एम क्लोरिन के घोल में डण्डियाँ रखे। निर्यात करते वक्त आर.वी.बी. क्रिसल या फलोरिसेंट का उपयोग फूलो के परिरक्षको का उपयोग करे।
8) एक 50 लीटर क्षमता वाली बाल्टी में 70-80 फूलो की डण्डियाँ ही रखे।
9) कोल्ड चैन प्रबन्धन का विशेष ध्यान दे।
10) फूलो की डण्डियाँ बाल्टी में रखने के बाद फूलो के चारो ओर प्लास्टिक की जाली लपेटे ताकि स्थनान्तरण के समय फूलो या कलियो को नुकसान ना हो।
11) ग्राहक को ध्यान में रखकर या बाजार को ध्यान में रखकर फूलो की डण्डियो का गुच्छा तैयार करे। 10 फूलो की डण्डियो का समान सतह वाला और 20 फूलो की डण्डियो का असमान सिरे वाले भाग का गुच्छा तैयार करे।