कृषि पिटारा

आलू की खेती: उचित विधि और तकनीक अपना कर किसान कर सकते हैं बेहतर उपज की उम्मीद

नई दिल्ली: देश भर में रबी की मुख्य फसल आलू की खुदाई की तैयारियाँ शुरू हो रही हैं। यह एक काफी महत्वपूर्ण चरण है क्योंकि फरवरी के महीने में ठंड कम होने लगती है और आलू की परिपक्वता में सुधार होता है। कई राज्यों में किसान अब अपनी आलू की नई खेती की तैयारियाँ कर रहे हैं। इससे पहले कि खेती की शुरुआत हो, किसानों को खेती के मुख्य चरणों में सही समय और तकनीक का पालन करने की आवश्यकता है ताकि उन्हें बेहतर उपज मिल सके और मंडियों में उनके एवज में उन्हें अच्छे भाव मिल सकें।

कृषि के संदर्भ में आलू की खेती एक महत्वपूर्ण फसल है। तमाम फसलों की तरह इस फसल की खेती के दौरान भी किसानों को काफी सावधानी बरतने की आवश्यकता है। आलू की खेती की प्रक्रिया के मुख्य चरणों में से एक है फसल की खुदाई, जिसमें ध्यानपूर्वक काम करने से किसान गुणवत्तापूर्ण उपज प्राप्त कर सकते हैं।

आलू की फसल लगभग 3 महीने से भी कम समय में तैयार हो जाती है। ऐसे में अगर आपको अपनी आलू की खुदाई कब करनी है ये जानना है तो आप उसकी पत्तियों को देखें। अगर पत्तियां पीली पड़ कर सूखने लगें तो खेत के किनारे से आप एक आलू खोद कर उसके परिपक्वता की जांच कर लें। यदि फसल मन मुताबिक तैयार हो गई है, तो इसकी खुदाई कर सकते हैं। 

आलू की खेती देश के कई राज्यों में बड़े पैमाने पर की जाती है। इसकी खेती से अच्छी उपज पाने के लिए सबसे पहले आलू को पाले से रक्षा करना जरूरी होता है। इसके अलावा आलू की खुदाई बिलकुल सही समय पर करनी चाहिए क्योंकि समय से पहले आलू की खुदाई करने पर यह सही से परिपक्व नहीं हो पाता है जिससे फसल की गुणवत्ता में कमी आ जाती है।

दरअसल आलू की खुदाई से लगभग 15 दिन पहले आलू के खेत की सिंचाई बंद कर देनी चाहिए। साथ ही क्यारियों की साफ-सफाई कर लेनी चाहिए, जिससे आलू में किसी तरह के कीट या रोग न लगने पाएं। इस तरीके से यदि आप आलू की खुदाई करते हैं तो आपको अच्छी उपज प्राप्त होगी और आपको मंडियों में अधिक कीमत मिल सकती है।

Related posts

Leave a Comment