नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर उपजे हालातों का असर अब साफ-साफ दिखने लगा है। भारत सरकार द्वारा अब तक 59 चीनी मोबाइल ऐप्स ब्लॉक किए जा चुके हैं। निर्माण से जुड़ी कई चीनी कंपनियों के टेंडर रद्द किए जा चुके हैं। इसके अलावा देश की जनता को लोकल या भारतीय उत्पाद इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित भी किया जा रहा है। हालाँकि चीनी उत्पादों के बहिष्कार को लेकर अभी तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है लेकिन फिर भी, देश का एक बड़ा तबका चीनी उत्पादों का स्वेच्छा से बहिष्कार कर रहा है।
चीन के साथ चल रहा सीमा विवाद उस वक्त बेहद ही गंभीर हो गया जब 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने की खबर आई। इसके बाद भारत सरकार तमाम प्रकार के कूटनीतिक कदम उठाने से परहेज नहीं कर रही है। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए केंद्र सरकार ने चीनी आयात पर अंकुश लगाने के लिए एक और कड़ा कदम उठाया है। अब सरकार ने चीन से आयात होने वाले कृषि यंत्र पावर टिलर और उसके कलपुर्जों पर अंकुश लगा दिया है। पावर टिलर का इस्तेमाल खेती के लिए जमीन तैयार करने के लिए किया जाता है। अब तक चीन से इनको बड़ी संख्या में आयात किया जाता रहा है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। चीन से आने वाले पावर टिलर और उसके कलपुर्जों के आयात पर रोक लगने के बाद जाहिर तौर पर भारतीय निर्माताओं को प्रोत्साहन मिलेगा।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने इस संबंध में अधिसूचना जारी करते हुए कहा है कि, “पावर टिलर और उसके कलपुर्जों की आयात नीति को संशोधित कर मुक्त से निषिद्ध कर दिया गया है। किसी उत्पाद को ‘निषिद्ध’ या वर्जित श्रेणी में रखने का अर्थ है कि आयातक को उनका आयात करने के लिए डीजीएफटी से लाइसेंस लेना होगा।”
आपको बता दें कि विदेश व्यापार महानिदेशालय ने आयात लाइसेंस लेने के लिए एक प्रक्रिया निर्धारित कर रखी है। इसके तहत किसी या सभी फर्म को एक साल में जारी अथॉराइजेशन का कुल मूल्य कंपनी द्वारा पिछले साल आयातित पावर टिलर के वैल्यू के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। पावर टिलर के कलपुर्जों के लिए भी इसी तरह 10 प्रतिशत की सीमा तय की गई है।