कृषि पिटारा

पूसा ने किसानों के लिए जारी की कृषि एडवाइजरी, फसलों को नुकसान से बचाने के उपाय बताए

किसानों को उनकी फसलों और कृषि कार्यों में होने वाली परेशानियों और आर्थिक नुकसान से बचाने के लिए पूसा संस्थान ने एक विशेष कृषि एडवाइजरी जारी की है। इस एडवाइजरी में विभिन्न मौसमीय बदलावों और कृषि कार्यों को ध्यान में रखते हुए खास उपायों का सुझाव दिया गया है, जिनकी मदद से किसान न केवल अपनी फसलों को सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि आर्थिक लाभ भी कमा सकते हैं। आइए जानते हैं उन महत्वपूर्ण उपायों के बारे में जो किसानों को इस समय अपनाने चाहिए:

भंडारण से पहले करें ये काम

किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि वे अनाज भंडारण से पहले गोदाम की सफाई जरूर करें। साथ ही, अनाज को सूखा लें, क्योंकि नमी का स्तर 12 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। गोदाम की सफाई बेहद जरूरी है, और यदि छत या दीवारों में दरारें हों तो उन्हें भरकर ठीक कर लें, ताकि बारिश या नमी का असर न हो।

इसके अलावा, बोरियों को 5 प्रतिशत नीम तेल के घोल से उपचारित करें और फिर उन्हें धूप में अच्छे से सुखा लें। यह प्रक्रिया कीड़ों और अन्य बीमारियों के अंडे और लार्वा को नष्ट कर देगी, जिससे भंडारण में अनाज सुरक्षित रहेगा।

पकी हुई गेहूं फसल की कटाई करें

इस मौसम में पकी हुई गेहूं की फसल की कटाई करना उपयुक्त है। हालांकि, कटाई के बाद फसल को खुले में न छोड़ें। किसानों को सलाह दी जाती है कि कटी हुई फसल को बांधकर ढक कर रखें, ताकि तेज हवाएं या तूफान के कारण फसल इधर-उधर न उड़ जाए। मड़ाई के बाद अनाज को भंडारण से पहले अच्छे से सूखा लें, ताकि उसमें नमी न रहे और खराब होने से बच जाए।

खड़ी फसल और सब्जियों में सिंचाई

इस सप्ताह तापमान में वृद्धि की संभावना को देखते हुए, किसानों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी खड़ी फसलों और सब्जियों में आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई करें। यह सिंचाई सुबह या शाम को करनी चाहिए, जब हवा की गति कम हो। इससे पानी का नुकसान कम होगा और फसलें भी सही से बढ़ेंगी।

पछेती गेहूं में खाद का छिड़काव

तापमान बढ़ने की संभावना को देखते हुए, पछेती गेहूं फसल में किसानों को 2% पोटेशियम नाइट्रेट या 0.2% म्यूरेट ऑफ पोटाश उर्वरक का घोल बना कर फसल पर छिड़काव करने की सलाह दी गई है। यह उपाय फसल को बढ़ते तापमान के प्रभाव से बचाने में मदद करेगा, जिससे गेहूं की गुणवत्ता और उपज पर सकारात्मक असर पड़ेगा।

मिर्च और बैंगन की फसल के लिए सलाह

मिर्च और बैंगन जैसी फसलों में अधिक तापमान के कारण फल ठीक से विकसित नहीं हो पाते। इस समस्या से बचने के लिए, किसानों को सलाह दी जाती है कि वे 2% नेफथलीन एसिटिक एसिड (NAA) का घोल तैयार करें और उसे अपनी खड़ी फसलों पर छिड़कें। इससे फल के विकास में कोई रुकावट नहीं आएगी और फसल अच्छी तरह से पकेगी।

मूंग की उन्नत किस्में

मूंग की फसल की बुआई के लिए किसानों को उन्नत बीजों का चयन करने की सलाह दी जाती है। इस मौसम में पूसा विशाल, पूसा रत्न, पूसा-5931, पूसा बैसाखी, पीडीएम-11, एसएमएल-32, एसएमएल-668 और सम्राट जैसी किस्मों की बुआई से पहले बीजों को फसल विशेष राइजोबियम और फास्फोरस घुलनशील जीवाणुओं से उपचारित करें। इसके साथ ही, बुआई के समय खेत में पर्याप्त नमी सुनिश्चित करें, ताकि फसल अच्छे से उग सके।

पूसा द्वारा जारी की गई यह एडवाइजरी किसानों के लिए एक अहम दिशा-निर्देश साबित हो सकती है। इन उपायों को अपनाकर किसान अपनी फसलों को मौसम की बेरुखी और अन्य कृषि संकटों से बचा सकते हैं। कृषि कार्यों में सावधानी बरतने से न केवल फसल का बेहतर उत्पादन होगा, बल्कि आर्थिक नुकसान भी कम होगा। इस एडवाइजरी से किसान अपने कृषि कार्यों में आधुनिक तकनीकों और उपायों का इस्तेमाल करके अधिक लाभ कमा सकते हैं।

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