नई दिल्ली: केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने हाल ही में राष्ट्रीय सहकारी ऑर्गेनिक्स लिमिटेड (NCOL) की शुरुआत करते हुए रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि भारत कृषि उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर है और सरप्लस भी है। लेकिन उत्पादन बढ़ाने में रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग के बुरे परिणाम सामने आ रहे हैं। इनके अत्यधिक उपयोग से भूमि की उर्वरता कम हो गई है, पानी प्रदूषित हुआ है और कई प्रकार की बीमारियां हुई हैं।
शाह ने कहा कि ज्यादा रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों के उपयोग वाले अन्न के कारण मानव शरीर कई प्रकार के रोगों से ग्रसित हुआ है। कुछ राज्यों में रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का उपयोग इतना ज्यादा बढ़ गया है कि उससे पैदा हुए अन्न को खाने के कारण मानव शरीर कैंसर से ग्रसित हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर के किसानों का आह्वान किया है कि वे प्राकृतिक खेती की ओर जाएं। प्राकृतिक खेती से भूमि की गुणवत्ता में सुधार होता है और उत्पादन भी बढ़ता है।
एग्रो केमिकल इंडस्ट्री प्राकृतिक और जैविक खेती ओर केंद्र सरकार के बढ़ते रुझान से खुश नहीं है। वो फसलों में कीटनाशक डालने के साइड इफेक्ट से कैंसर या अन्य बीमारियों के होने की बात को खारिज करती हैं। समय-समय पर अपनी बात के समर्थन में आंकड़े भी जारी करती हैं। हालांकि, इंडस्ट्री पर सवाल यह है कि अगर कीटनाशक मानव जीवन के लिए घातक नहीं हैं तो क्यों अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे देशों में भारतीय कृषि उत्पादों के निर्यात के समय वो मुल्क यह सुनिश्चित करते हैं कि इसमें कीटनाशक की मात्रा न हो। क्यों भारत फलों और चावल आदि के एक्सपोर्ट पर एमआरएल यानी कीटनाशक का अधिकतम अवशेष स्तर (MRL-Maximum Residue limit) तय किया गया है।
एग्रो केमिकल इंडस्ट्री का कहना है कि रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का उपयोग बिना किसी साइड इफेक्ट के किया जा सकता है। लेकिन सरकार के बयान और किसानों के बीच बढ़ती जागरूकता के चलते यह देखना होगा कि आने वाले समय में क्या एग्रो केमिकल इंडस्ट्री को अपनी रणनीति बदलनी पड़ेगी?