कृषि पिटारा

राजस्थान: रबी फसल पर मौसम की मार, किसानों को मिलेगा मुआवजा

जयपुर: राजस्थान में ओलावृष्टि, पाला व शीतलहर की वजह से किसानों को काफी नुकसान हुआ है। मौसम की प्रतिकूलता की वजह से किसानों की रबी फसल की खेती करने वाले किसान आर्थिक क्षति का सामना कर रहे हैं। किसानों को राहत देने के लिए राजस्थान सरकार ने फसल रकबा का सही आकलन करने के निर्देश दिये हैं, ताकि किसानों को उचित मुआवजा दिया जा सके। राज्य के कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने विधानसभा में जानकारी दी है कि सरकार प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। हालिया ओलावृष्टि से फसलों को पहुंचे नुकसान के बारे में उन्होंने कहा कि राज्य के सभी क्षेत्रों में ओलावृष्टि से नुकसान हुआ है। सभी जिला कलेक्टर को इस संबंध में तत्काल सर्वे कर आपदा प्रबंधन विभाग को रिपोर्ट भेजने के लिए कहा गया है।

कृषि मंत्री ने कहा है कि प्रभावित किसानों को आपदा राहत कोष व प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के मानदंडों के अनुसार राहत मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि वर्ष 2022-23 में रबी फसल में 109 लाख 55 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई हुई है। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार गेहूं की फसल के 29 लाख 65 हजार हेक्टेयर बोए गए क्षेत्रफल में से लगभग 42 हजार हेक्टेयर, जौ फसल के 4 लाख 8 हजार हेक्टेयर बोए गए क्षेत्रफल में से 19 हजार हेक्टेयर, चना फसल के 20 लाख 57 हजार हेक्टेयर बोए गए क्षेत्रफल में से 2 लाख 25 हजार हेक्टेयर में 2 से 40 प्रतिशत तक रकबा का नुकसान हुआ है। जबकि सरसों व तारामीरा का कुल बोए गए 39 लाख 36 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में से 9 लाख 83 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में 2 से 65 प्रतिशत तक फसल की क्षति है है। इसी तरह सब्जियों एवं उद्यानिकी फसलों के कुल बोए गए 15 लाख 89 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में से 2 लाख 22 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में 2 से 60 प्रतिशत तक फसल की हानि हुई है। यह नुकसान प्रमुख रूप से श्रीगंगानगर, हनुमानगढ, चूरू, झुन्झुनूं, जयपुर, जालोर, बीकानेर, चित्तौड़गढ़, सीकर, भरतपुर, पाली, अजमेर, जोधपुर और प्रतापगढ़ में हुआ है।

अभी हाल ही में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने विधानसभा में मांग की थी कि सरकार प्रभावित किसानों को जल्द से जल्द राहत देने के लिए ठोस कदम उठाए। विधानसभा अध्यक्ष डॉ सी.पी. जोशी ने चर्चा के दौरान कुछ सदस्यों द्वारा उठाई गई मांग की ओर इशारा करते हुए कहा कि सरकार को विशेष गिरदावरी की प्रक्रिया में जन प्रतिनिधियों को भी शामिल करना चाहिए। इसकी प्रक्रिया पूरी होने के बाद फिर से सदन को सूचित करना चाहिए।

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