कृषि पिटारा

रामविलास पासवान ने दिया गन्ना किसानों के बकाये के भुगतान का आदेश

नई दिल्ली: कोरोना संकट को देखते हुए उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने गन्ना किसानों के हित में एक बड़ा आदेश दिया है। दरअसल, रामविलास पासवान ने चीनी मिलों से कहा है कि वे संकट की इस घड़ी में गन्ना किसानों के बकाये का जल्द भुगतान करें। एक महत्वपूर्ण बैठक में रामविलास पासवान ने संबंधित अधिकारियों के साथ बकाये की स्थिति की समीक्षा की। उन्होने सचिव को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, जिसमें उन सुझावों का विवरण हो जिनके जरिये बकाये को कम किया जा सके। आपको बता दें कि चीनी मिलों को 2018-19 सत्र के लिए अभी भी 767 करोड़ रुपये का भुगतान करना है। उन्हें यह भुगतान इसी सत्र में करने को कहा गया है।

बैठक में नकदी संकट का सामना कर रहे चीनी मिलों को आर्थिक सहायता देने के विकल्पों पर भी विचार किया गया। लेकिन अभी तक इस बारे में कोई स्पष्ट फैसला नहीं लिया गया है। रामविलास पासवान ने कहा है कि, “वर्ष 2019-20 सत्र (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान किसानों से खरीदे गए गन्ने के लिए चीनी मिलों पर कुल 72,000 करोड़ रुपये का बकाया हो गया था। इसमें से अधिक से अधिक राशि का भुगतान किया जा चुका है और शेष लगभग 22,000 करोड़ रुपये बच गये हैं। हम मिलों को इसे जल्द से जल्द निपटाने को कह रहे हैं। गन्ने के इस बकाये में केंद्र द्वारा निर्धारित उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) और राज्यों द्वारा निर्धारित राज्य परामर्शित मूल्य (एसएपी) शामिल हैं। वर्ष 2019-20 सत्र के 22,000 करोड़ रुपये के बकाया में से लगभग 17,683 करोड़ रुपये एफआरपी दर पर आधारित है, जबकि शेष एसएपी दरों पर आधारित है।”

केंद्र सरकार के प्रोत्साहन के बाद चीनी मिलों द्वारा निर्यात की संतोषजनक स्थिति सहित कुछ अच्छे संकेत मिल रहे हैं। इस बारे में रामविलास पासवान ने कहा है कि, “केंद्र द्वारा दिए गए प्रोत्साहन की मदद से वर्ष 2019-20 सत्र के दौरान चीनी का निर्यात बेहतर गति से हो रहा है, जिससे चीनी मिलें किसानों का भुगतान करने की स्थिति में लौट रही हैं। चालू सत्र के लिए 60 लाख टन के अनिवार्य निर्यात कोटा के मुकाबले चीनी मिलों ने 48 लाख टन चीनी निर्यात का अनुबंध किया है। इसमें से 43 लाख टन चीनी का निर्यात किया जा चुका है। यह बहुत अच्छा संकेत है। क्योंकि भारत पिछले सत्र में केवल 37 लाख टन चीनी का निर्यात कर पाया था। हमें उम्मीद है कि निर्यात से हुई आय के कारण चीनी मिलों को किसानों के गन्ना बकाया खत्म करने में मदद मिलेगी।”

Related posts

Leave a Comment