नई दिल्ली: दलहन के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। इसके बावजूद एक बात चिंता का विषय है। दरअसल, हल के दिनों में दालों के दामों में वृद्धि की रिकॉर्ड उच्चता को देखा जा रहा है। अगर पिछले एक साल की बात की जाए तो अरहर दाल के दाम में 79 रुपये प्रति किलो की रिकॉर्ड वृद्धि हो गई है। इस वृद्धि का सीधा असर उपभोक्ताओं के साथ-साथ सरकार पर भी पड़ रहा है, क्योंकि इसका असर आगामी आम चुनाव पर पड़ने की संभावना है। कई खाद्य पदार्थों की महंगाई से जनता के प्रति सरकार की जिम्मेदारी बढ़ रही है।
प्राइस मॉनिटरिंग डिवीजन के अनुसार, 8 जनवरी 2023 को अरहर दाल का अधिकतम दाम 130 रुपये प्रति किलो था, जबकि 8 जनवरी 2024 को यह भाव 209 रुपये प्रति किलो पहुंच गया है। इस वृद्धि में न केवल उपभोक्ताओं के लिए बल्कि सरकार के लिए भी चुनौती है, क्योंकि आगामी चुनावों में महंगाई की वृद्धि नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। बताया जा रहा है कि दलहनी फसलों के मामले में भारत आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ा रहा है और दलहन क्षेत्र में उत्पादन में भी वृद्धि हो रही है। देश ने ताजा दाल संकट का सामना करते हुए दलहन फसलों के उत्पादन में वृद्धि करने के लिए 2027 तक आत्मनिर्भरता का लक्ष्य तय है और इसके लिए किसानों से 100 प्रतिशत दलहन उत्पाद खरीदने का निर्देश दिया गया है।
दलहन फसलों के प्रमुख उत्पादक राज्यों में मध्य प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, गुजरात, बिहार, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, झारखंड और तमिलनाडु शामिल हैं। वर्तमान रबी सीजन में, दलहन फसलों का क्षेत्र 2023-24 के मुकाबले 7.97 लाख हेक्टेयर कम है, जो सीजन 2022-23 के मुकाबले कम है। दलहन फसलों के दामों में वृद्धि और उत्पादन में वृद्धि के साथ, भारत ने अपने लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिससे देश आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अग्रसर हो रहा है। यह स्थिति न केवल खाद्य सुरक्षा की सुनिश्चितता को बढ़ावा देगी बल्कि किसानों को भी अधिक आय भी प्रदान करेगी।