कृषि पिटारा

भारत में तुअर दाल की रिकॉर्ड खरीद, 10 लाख टन बफर स्टॉक बनाने की तैयारी

नई दिल्ली: भारत सरकार देश में दलहन उत्पादन को प्रोत्साहित करने और किसानों को बेहतर दाम दिलाने के लिए लगातार प्रयासरत है। इसी कड़ी में केंद्र सरकार मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत दलहनों की खरीद कर रही है। शुक्रवार को केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने तुअर दाल (अरहर) की खरीद से जुड़े ताजा आंकड़े जारी किए, जिससे पता चलता है कि सरकार अब तक 3.4 लाख टन तुअर की खरीद कर चुकी है।

दलहन उत्पादन को प्रोत्साहन देने की पहल

देशभर में दलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय मिशन चलाया जा रहा है। सरकार दक्षिण और पूर्वोत्तर राज्यों में भी किसानों को तुअर, मसूर, चना, मूंग जैसी दालों की खेती के लिए प्रेरित कर रही है, ताकि आयात पर निर्भरता कम हो और घरेलू उत्पादन बढ़े।

बफर स्टॉक बनाए रखने की तैयारी

सरकार का लक्ष्य 10 लाख टन तुअर का बफर स्टॉक बनाना है। इससे बाजार में दाल की उपलब्धता सुनिश्चित रहेगी और कीमतों को स्थिर रखने में मदद मिलेगी। कृषि मंत्रालय के मुताबिक, अब तक 13 अप्रैल 2025 तक देशभर में 3,40,000 टन तुअर की खरीद हो चुकी है। इसके लिए सरकार ने नौ राज्यों से 13.22 लाख टन खरीद की मंजूरी दी है।

कर्नाटक बना सबसे बड़ा योगदानकर्ता

इस खरीद प्रक्रिया में कर्नाटक ने सबसे अधिक योगदान दिया है। यहां अब तक 1.30 लाख टन तुअर की खरीद हो चुकी है। कर्नाटक सरकार ने किसानों को केंद्र द्वारा तय एमएसपी 7,550 रुपये प्रति क्विंटल के अलावा 450 रुपये प्रति क्विंटल बोनस भी दिया है। इससे किसानों को सीधे लाभ मिला है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में भी अरहर दाल की खरीद जारी है।

चना और मसूर की भी खरीद जारी

सरकार ने तेलंगाना और मध्य प्रदेश से अब तक 17,000 टन चने की खरीद की है। हालांकि, बाजार में चने की कीमतें एमएसपी से ऊपर चल रही हैं, इसलिए खरीद प्रक्रिया धीमी है। इसी तरह मसूर की खरीद 28,700 टन और हरी मूंग की खरीद 3,000 टन तक पहुंच गई है।

100% खरीद का लक्ष्य तय

केंद्रीय बजट 2025-26 में सरकार ने दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए 2028-29 तक अरहर, मसूर और उड़द की राज्य उत्पादन के मुकाबले 100 प्रतिशत खरीद की प्रतिबद्धता जताई है। इसके तहत राज्य सरकारों के सहयोग से केंद्रीय एजेंसियां पूरी उपज की खरीद करेंगी, जिससे किसानों को निश्चित लाभ मिलेगा।

आयात पर निर्भरता घटाने की दिशा में कदम

हाल के वर्षों में देश में दलहनों के उत्पादन में वृद्धि जरूर हुई है, लेकिन मांग और आपूर्ति में अंतर के चलते भारत को अभी भी दालों का आयात करना पड़ता है। सरकार की यह पहल घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता को कम करने की दिशा में अहम कदम मानी जा रही है।


तुअर की रिकॉर्ड खरीद और किसानों को मिलने वाले बोनस से स्पष्ट है कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर किसानों की आय बढ़ाने और दालों की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए गंभीर प्रयास कर रही हैं। इस कदम से न केवल किसानों को बेहतर मूल्य मिलेगा, बल्कि उपभोक्ताओं को भी स्थिर दाम पर दालें मिलेंगी।

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