कृषि पिटारा

मॉनसून की वजह से कम हो सकती है मिर्च की पैदावार

पिछले साल मिली मिर्च की अच्छी कीमतों के बावजूद, इस साल चालू खरीफ सीजन में मिर्च के रकबे में वृद्धि दिख रही है। हालांकि मॉनसून की देरी की वजह से मिर्ची के प्रमुख उत्पादक राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में रोपाई में भी देरी हुई है। गुंटूर में स्थित ‘ऑल इंडिया चिली एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन’ के अध्यक्ष संबासिवा राव वेलागापुडी ने बताया कि सितंबर महीने तक यह पता चलेगा कि बुआई की गई मिर्च की उपज कितनी होगी और आगे क्या स्थिति बनेगी। मॉनसून की कमी के कारण कई जगहों पर मिर्च की बुआई में देरी हो गई है, जिसके कारण किसान मिर्ची की जल्दी-जल्दी बुआई कर रहे हैं, लेकिन इसमें आवश्यक तेजी नहीं दिख रही है। अगर रकबा कम होता है, तो आने वाले समय में मिर्च की उपज कम होने की संभावना है।

चिली एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राव ने बताया कि छोटे किसान जो पट्टे पर ली गई जमीन पर खेती करते हैं, उन्हें एक बार बुआई करने में अपने भूमि मालिकों को प्रति एकड़ 70,000-80,000 रुपये देना पड़ते हैं। इसके साथ ही, उन्हें बुआई पर काफी खर्च करना पड़ता है। अगर सिंचाई की समस्या होती है, तो उन्हें एक लाख रुपये से अधिक की लागत आएगी। इस बार बारिश की कमी के कारण किसान मिर्च की बुआई से बच रहे हैं। तेलंगाना के खम्मम और वारंगल जिलों में सबसे अधिक मिर्च की खेती की जाती है, लेकिन वहां भी इस बार ढिलाई देखी जा रही है।

आंध्र प्रदेश के रायलसीमा में इस मॉनसून में अब तक 25 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि तटीय आंध्र में यह कमी पांच प्रतिशत है। तेलंगाना में अब तक 22 प्रतिशत का सरप्लस दर्ज किया गया है। राव ने कहा कि, “अगर आंध्र में अगले 15 दिनों तक बुआई प्रभावित रही, तो अगले साल की फसल कम होगी।” कर्नाटक में जहां ब्यादगी मिर्च अधिक उगाई जाती है, वहां इस बार किसानों ने अधिक खेती की है। यह मिर्च अपने रंग और तीखेपन के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। पिछले साल इस मिर्च ने अच्छी कमाई दी थी, जिसे देखते हुए किसानों ने इस बार अधिक से अधिक खेती की है। बाकी जगहों पर मिर्च की फसल कम है, इसे देखते हुए इस बार भी ब्यादगी मिर्च को भी अच्छे दाम मिलने की संभावना है। अगर आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को छोड़ दें, तो कर्नाटक में मिर्च की खेती बढ़ती दिख रही है। यहां बागलकोट और बीजापुर जैसे जिलों में मिर्च का रकबा बढ़ रहा है। एक्सपर्ट कहते हैं कि इस खरीफ में उम्मीद है कि रकबा लगभग 20 प्रतिशत बढ़ जाएगा। आपको बता दें कि 2021-22 के अंतिम अनुमान के अनुसार, भारत का लाल मिर्च उत्पादन 18.36 लाख टन था और एकड़ 8.82 लाख हेक्टेयर था। कृषि मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक हरी मिर्च 4.27 लाख हेक्टेयर में उगाई गई और उत्पादन 47 लाख टन रहा।

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