पटना: बिहार सरकार किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए अब काफी सख्त रवैया अपना रही है। सरकार ने पहले ही पराली जलाने को प्रतिबंधित कर रखा है। इसकी निगरानी के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। सरकार द्वारा लिए गए एक ताजा फैसले से उन किसानों की परेशानी बढ़ सकती है जो पराली जलाने से अब भी बाज नहीं आ रहे हैं। इसी दिशा में अब एक और कड़ी जुड़ गई है। एक नए आदेश के अनुसार राज्य में अब कंबाईन हार्वेस्टर चलाने के लिये किसानों को जिलाधिकारी से अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है। इस आदेश में इस बात का भी जिक्र है कि जो किसान पराली जलाते हुए पाए जाएंगे तमाम सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित कर दिया जाएगा। साथ ही फसल की कटाई से पहले जिले के डीएम सभी कंबाईन हार्वेस्टर मालिकों और किसानों से पराली नहीं जलाने का शपथ-पत्र लेंगे।
अगर इन तामम आदेशों के बावजूद भी जो किसान सरकारी आदेश की अवहेलना करते हुए पाए जाएंगे उनके नाम कृषि कर्यालयों के सूचना पट्टों पर चस्पा कर दिये जाएंगे। यही नहीं ऐसे किसानों का डीबीटी पोर्टल से पंजीकरण भी रद्द कर दिया जाएगा। यदि इसके बाद भी कोई किसान पराली जलाते हुए पाया जाता है तो उसके विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
कृषि सचिव डॉ. एन सरवण कुमार द्वारा विभिन्न जिलों के जिलाधिकारियों को पराली प्रबंधन के लिए रोहतास मॉडल के विस्तार की सलाह दी गई है। इस मॉडल के जरिये फसल अवशेष का बेहतर उपयोग किया जा सकेगा। इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र पटना, नालंदा, रोहतास, कैमूर, भोजपुर, बक्सर, अरवल, गया, औरंगाबाद तथा बांका जिलों में बायोचर इकाई का निर्माण किया जा रहा है। इस बारे में डॉ. एन सरवण कुमार ने कहा कि, “रोहतास कृषि विज्ञान केन्द्र के पॉयलट प्रोजेक्ट मॉडल पर फसल अवशेष प्रबंधन किया जाये, विभिन्न जिलों को इसके बारे में निर्देश दिए गए हैं, साथ ही सभी जिलों के कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा कॉम्फेड के साथ मिलकर फसल अवशेष से चारा तैयार कर दुग्ध उत्पादक समितियों को उपलब्ध कराया जाएगा। इससे खेतों में फसल अवशेष जलाने की प्रवृत्ति पर नियंत्रण होगा तथा फसल अवशेष प्रबंधन को प्रोत्साहन मिलेगा।”