पटना: इन दिनों प्रदेश भर में गेहूँ की कटाई जोर शोर से चल रही है। अभी कुछ दिन पहले तक जो खेत गेहूँ की सुनहली फसल से रंगे दिखाई दे रहे थे, वो अब तेजी से खाली हो रहे हैं। अब ऐसे किसान विरले ही मिलेंगे जो हाथों से गेहूँ की कटाई करते होंगे। इधर कुछ एक दशकों में प्रदेश के किसान खेती में मशीनों का तेजी से इस्तेमाल करने लगे हैं। इससे एक ओर जहाँ बाह्य मानव श्रम पर उनकी निर्भरता कम हुई है, वहीं दूसरी ओर उनके समय की भी बचत हुई है। कुल मिलाकर अब आज की युवा पीढ़ी के लिए तथाकथित खेती जैसा दुरूह कार्य भी तकनीक व मशीनों के उपयोग से एक हद तक सुगम हुआ है।
गेहूँ की कटाई अब लगभग अपने आखिरी चरण में है। अधिकांश किसान अब तक गेहूँ के अनाज अपने खेतों से हटा चुके हैं। इसके बाद बारी आती है अनाज के सुरक्षित भंडारण की। एक तरह से किसी भी फसल की खेती में यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। क्योंकि सारी पूँजी, मेहनत और समय लगने के बाद उस फसल का भविष्य भंडारण की स्थिति पर निर्भर करता है। अगर आप गेहूँ का लंबे समय तक भंडारण करना चाहते हैं तो सबसे पहले गेहूँ को अच्छी तरह से सूखा लें। यानी अनाज में किसी भी स्थिति में नाम मात्र की भी नमी नहीं होनी चाहिए। क्योंकि नमी होने की स्थिति में गेहूँ में कीड़े और फंगस लग जाएंगे। आमतौर पर बरसात के मौसम में गेहूँ में सुरसी, खपरा, डोरा व जाल वाले कीड़े लगते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि बारिश दौरान वातावरण में अधिक नमी होती है और इससे गेहूँ नरम हो जाता है। जब गेहूँ नरम होगा तो कीड़े उसको आसानी से काट लेते हैं। इसलिए बारिश में मौसम में अधिक कीड़े लगते हैं। ऐसे में इस पूरे मौसम में गेहूँ के भंडारण को लेकर अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
अगर आप गेहूँ का भंडारण किसी लोहे या टिन के ड्रम में करना चाहते हैं तो सबसे पहले उस ड्रम को चार से पाँच दिनों तक तपती धूप में रखें। ऐसा करने से ड्रम में मौजूद कीड़े नष्ट हो जाते हैं। संभव हो सके तो गेहूँ का भंडारण मकान से अलग करें। वातावरण की नमी का असर विभिन्न प्रकार के धातुओं पर भी पड़ता है, विशेष रूप से लोहे या टिन पर। इस दौरान इन धातुओं में जंग लग जाती है। इससे बचने के लिए इन धातुओं से बने ड्रम को अंदर से पेंट कर दे। इससे अनाज लंबे समय तक सुरक्षित रहेगा।
ड्रम में गेहूँ का भंडारण करने से पहले एक किलो नीम की पत्तियों को छाया में सुखाकर ड्रम की तली में बिछाना चाहिए। इससे गेहूँ खराब नहीं होगा। अगर पहले से ही गेहूँ में कीड़े लगे हों तो एल्यूमिनियम फॉस्फाइड की 3 गोली प्रति 10 क्विंटल के हिसाब से उपयोग कर सकते हैं।
एक ध्यान देने वाली बात यह भी है कि गेहूँ के भंडारण के लिए कभी भी पुरानी बोरियों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। यदि सम्भव हो तो नई बोरियों का इस्तेमाल करें। यदि भंडारण में पुराने बोरों का प्रयोग करना है तो इन्हें एक प्रतिशत मैलाथियान के घोल में 10 मिनट तक डुबो दें और सुखाकर उनका इस्तेमाल करें। इसके अलावा पुराने गेहूँ को नए भंडारित गेहूँ के साथ कदापि न रखें।
भंडारण के लिए प्रयोग किए जाने वाले गोदाम, लोहे की टंकी या वायु रोधी कवर में किसी भी प्रकार की दरार या छेद को भंडारण से पूर्व ही बंद कर लें ताकि संक्रमण से बचा जा सके। साथ ही चूहों के नियंत्रण के लिए एल्युमिनियम फॉस्फाइड, चूहे दानी या एंटी कगुलेंट्स का प्रयोग करें। भंडारण के आसपास गंदगी ना रखें।