कृषि पिटारा

हरियाणा में पारित हुआ बीज और कीटनाशक अधिनियम-2025: किसान समर्थन में, व्यापारी विरोध में

चंडीगढ़/हरियाणा: हरियाणा सरकार ने कृषि क्षेत्र में पारदर्शिता और किसानों के हितों की रक्षा के लिए बीज और कीटनाशक अधिनियम-2025 पारित कर दिया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में तैयार किए गए इस कानून को लेकर राज्य में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। एक ओर जहां किसान संगठनों ने इस कानून को स्वागत योग्य कदम बताया है, वहीं बीज-खाद और कीटनाशक कंपनियों के साथ-साथ खुदरा व्यापारी इसके विरोध में उतर आए हैं। प्रदेश के कई जिलों में व्यापारियों ने विरोध स्वरूप अपनी दुकानें बंद रखीं और प्रदर्शन किया।

इस अधिनियम का उद्देश्य नकली बीजों और कृषि रसायनों की बिक्री पर सख्ती से रोक लगाना है, ताकि किसानों को ठगी और फसल क्षति से बचाया जा सके। वर्षों से किसान संगठनों की यह मांग रही है कि नकली कृषि उत्पादों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो, जो अब इस कानून के रूप में सामने आई है। ऐसे में अब किसान संगठन सरकार से इस कानून को सख्ती से लागू करने की मांग कर रहे हैं।

इस पूरे घटनाक्रम में भारतीय किसान यूनियन (मान) ने खुलकर सरकार के पक्ष में अपना समर्थन जताया है। यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष ठाकुर गुणीप्रकाश ने कानून का विरोध कर रहे व्यापारियों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यह विरोध अनैतिक है। उन्होंने कहा कि यह प्रमाणित हो चुका है कि कई व्यापारी वर्षों से नकली बीज और कीटनाशक बेचकर किसानों को खुलेआम लूट रहे हैं। इसके चलते न केवल खेती की लागत बढ़ी है, बल्कि फसल उत्पादन में गिरावट भी आई है, जिसका सीधा नुकसान किसानों को उठाना पड़ा है।

ठाकुर गुणीप्रकाश ने यह सवाल उठाया कि अगर ये व्यापारी वास्तव में असली उत्पाद बेचते हैं, तो उन्हें नए कानून से घबराने की क्या जरूरत है? उन्होंने यह भी कहा कि कुछ व्यापारी यह तर्क दे रहे हैं कि वे कंपनियों के सील बंद उत्पाद बेचते हैं, इसलिए उन पर जिम्मेदारी नहीं बनती। लेकिन कानून के अनुसार, अगर किसी अपराध में कई पक्ष शामिल हैं, तो सभी समान रूप से जिम्मेदार माने जाते हैं, चाहे उनकी भूमिका कुछ भी रही हो।

उन्होंने हरियाणा सरकार से मांग की है कि इन ‘कुतर्कों’ को नजरअंदाज करते हुए कानून को सख्ती से लागू किया जाए। साथ ही उन्होंने यह भी मांग की कि नकली बीज और कीटनाशकों के व्यापारियों के लिए सिर्फ तीन साल की सजा नहीं, बल्कि उम्रकैद का प्रावधान किया जाए। ठाकुर का कहना है कि नकली उत्पादों से सिर्फ फसलें नहीं, किसानों के सपने और उनका भविष्य भी तबाह होता है।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जो व्यापारी कभी किराए की दुकान में खाद और बीज बेचते थे, आज वे आर्थिक रूप से बड़े किसानों से भी ज्यादा मजबूत हो गए हैं। यह स्थिति सिर्फ किसानों की मेहनत और उनके नुकसान की कीमत पर बनी है। ऐसे में अगर सरकार इन व्यापारियों के दबाव में आकर यह कानून वापस लेती है, तो यह किसानों के साथ बड़ा धोखा होगा।

किसान संगठनों का कहना है कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी खुद किसान परिवार से आते हैं, इसलिए उन्हें किसानों की पीड़ा का भली-भांति एहसास है। उन्हें उम्मीद है कि मुख्यमंत्री इस कानून को पीछे नहीं हटाएंगे और सख्ती से लागू कराएंगे।

इस कानून को लेकर राज्य में टकराव की स्थिति बनती जा रही है। एक ओर जहां व्यापारी इसे अपने व्यवसाय पर खतरा मान रहे हैं, वहीं किसान इसे अपने अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में बड़ा कदम बता रहे हैं। अब देखना यह होगा कि सरकार इन दोनों के बीच संतुलन कैसे बनाती है और क्या यह कानून किसानों को राहत दिलाने में सफल हो पाता है।

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