नई दिल्ली: शिमला मिर्च की खेती भारत मे लगभग 4780 हेक्टयर में की जाती है। इसकी खेती के लिए दिन का तापमान 22 से 28 डिग्री सेंटीग्रेड और रात का तापमान सामान्यतः 16 से 18 डिग्री सेंटीग्रेड उत्तम होता है। अधिक तापमान की वजह से शिमला मिर्च के फूल झड़ने लगते हैं जबकि कम तापमान की वजह से परागकणों की जीवन उपयोगिता कम हो जाती है। शिमला मिर्च की खेती के लिए आम तौर पर बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है, जिसमें अधिक मात्रा मे कार्बनिक पदार्थ मौजूद हों और जल निकासी की अच्छी व्यवस्था हो।
शिमला मिर्च के पौध की रोपाई के लिए मुख्य खेत की अच्छी तरह से 5-6 बार जुताई करें। फिर अंतिम जुताई से पहले खेत में गोबर की खाद या कम्पोस्ट अच्छी तरह से मिला दें। इसके बाद उठी हुई 90 सेमी चौड़ी क्यारियाँ बनाएँ। पौधों की रोपाई, ड्रिप लाईन बिछाने के बाद 45 सेमी की दूरी पर करें और एक क्यारी में पौधों की दो कतार लगाएँ। कैलिफोर्निया वंडर, रॉयल वंडर, येलो वंडर, ग्रीन गोल्ड, भारत, अरका बसन्त, सिंजेटा इंडिया और बॉम्बी इत्यादि शिमला मिर्च की कुछ बेहतर किस्में हैं। आप इनमें से अपने क्षेत्र की संस्तुति के अनुसार किसी भी किस्म का चुनाव कर सकते हैं।
अगर आप शिमला मिर्च की सामान्य किस्म बो रहे हैं तो 750 से 800 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीज का इस्तेमाल करें। जबकि इसकी संकर किस्मों के लिए यह दर 200 से 250 ग्राम प्रति हेक्टयर रखें। शिमला मिर्च के पौध 30 से 35 दिन में रोपाई योग्य हो जाते हैं। रोपाई के समय रोप की लम्बाई लगभग 16 से 20 सेमी होनी चाहिए।
बतौर उर्वरक खेत में अगर आप गोबर खाद का उपयोग कर रहे हैं तो इसकी मात्रा 25 टन प्रति हेक्टेयर रखें। रासायनिक उर्वरक के तौर पर आप एनपीके का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसकी मात्रा क्रमशः 250, 150 और 150 किग्रा./हे. होनी चाहिए। शिमला मिर्च के पौधों की सिंचाई गर्म मौसम में 7 दिन और ठण्डे मौसम में 10 से 15 दिन के अन्तराल पर करें। शिमला मिर्च के फलो की तुड़ाई हमेशा पूरा रंग व आकार होने के बाद ही करनी चाहिए।