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रिपोर्ट: मृदा स्वास्थ्य कार्ड की वजह से बढ़ी है किसानों की आमदनी

नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा कराए गए एक ताजा अध्ययन में यह बात सामने आयी है कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड की वजह से किसानों की लागत में कमी के साथ-साथ उपज बढ़ाने में भी मदद मिली है। यही नहीं, कुछ फसलों की खेती में किसानों को प्रति एकड़ 30,000 रुपये तक का भी फायदा हुआ है। दरअसल, मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के पांच वर्ष पूरा होने पर सरकार ने एक सर्वे करवाया था। इस सर्वे में 19 राज्यों के 76 जिलों को शामिल किया गया था। यह अध्ययन राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद यानी एनपीसी के जरिये कराया गया था। इसके लिए कुल 170 मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं की सेवाएं ली गयी और इसमें 1,700 किसानों से जानकारी मांगी गयी।

इस सर्वे के बाद जो रिपोर्ट सामने आई उसके अनुसार मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की वजह से अरहर की खेती में 25,00 से 30,000 रुपये प्रति एकड़ की बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा सूरजमुखी की खेती से प्राप्त आय में लगभग 25,000 रुपये प्रति एकड़, कपास में 12,000 रुपये प्रति एकड़, मूंगफली में 10,000 रुपये, धान में 4,500 रुपये और आलू की खेती से प्राप्त आय में 3,000 रुपये प्रति एकड़ तक तक की वृद्धि हुई है।

इस सर्वे में यह कहा गया है कि, मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना से पहले किसान आवश्यक उर्वरक और पोषक तत्वों का उचित मात्रा में इस्तेमाल नहीं कर पाते थे। इस वजह से फसलों की उत्पादकता प्रभावित होती थी। मगर अब मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के जरिये किसानों को मिट्टी की गुणवत्ता के बारे में उचित जानकारी मिल रही है। इस वजह से उर्वरक की बचत तो हो ही है, उनकी उपज में भी वृद्धि हो रही है। इससे किसानों की आय में स्वाभाविक वृद्धि हो रही है।

अगर बात करें दलहन के उत्पादन की, तो इसमें 10-30  प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है। इसी तरह तिलहनों में 40 प्रतिशत की वृद्धि और कपास के उत्पादन में 10-20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके अलावा, किसान द्वारा विभिन्न फसलों की खेती पर आने वाले लागत में भी कमी आई है। जैसे – मृदा स्वास्थ्य कार्ड से नाइट्रोजन आदि उर्वरकों के उपयोग में कमी आई है। इससे किसान के पास बचत हुई और खेती की लागत में कमी आई। सर्वे के अनुसार धान की खेती की लागत में 16-25 प्रतिशत की कमी आई और नाइट्रोजन उर्वरक की बचत लगभग 20 किलोग्राम प्रति एकड़ हुई। इसी प्रकार दलहनी फसलों की खेती की लागत में 10-15 प्रतिशत की कमी हुई और प्रति एकड़ 10 किग्रा यूरिया की बचत हुई। तिलहनी फसलों के उत्पादन लागत में भी इसी प्रकार से कमी देखी गयी है।

आपको बता दें कि, मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के तहत किसानों को उनके खेतों में मौजूद पोषक तत्वों की जानकारी देने के साथ-साथ मिट्टी के स्वास्थ्य और उर्वरता में सुधार करने के भी उपाय सुझाए जाते हैं। इस योजना के जरिये  हर दो साल में किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए जाते हैं। योजना के शुरू होने से लेकर अब तक किसानों को ये कार्ड दो बार जारी किये जा चुके हैं। योजना के पहले चक्र में यानी वर्ष 2015 से 2017 तक किसानों को 10.74 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए गए थे।

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1 comment

AffiliateLabz 21st फ़रवरी 2020 at 11:44 अपराह्न

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