कृषि पिटारा

सोयाबीन की खेती में है लागत के मुक़ाबले ज़्यादा मुनाफा

नई दिल्ली: सोयाबीन खाद्य पदार्थों में उपयोग किए जाने वाले तेल का एक प्रमुख स्रोत है। इससे निकाले हुए तेल में शुद्ध वसा काफी कम मात्रा में मौजूद होती है। इसलिए ज़्यादातर लोग सोयाबीन तेल को पसंद करते हैं। सोयाबीन की खेती आपको बढ़िया मुनाफा दे सकती है। क्योंकि इसमें लागत के मुक़ाबले अच्छी आमदनी है।

सोयाबीन की खेती अच्छे जल निकास वाली उपजाऊ दोमट मिट्टी में अच्छे परिणाम देती है। सोयाबीन की अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी का pH मान 6 से 7.5 होना ज़रूरी है। जल जमाव वाली, खारी और क्षारीय मिट्टी सोयाबीन की खेती के लिए अच्छी नहीं मानी जाती है। कम तापमान भी इस फसल को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।

अगर आप सोयाबीन की खेती करना चाहते हैं तो आप कुछ प्रमुख किस्मों का चुनाव कर सकते हैं, जैसे – अलंकार, अंकुर, ली, PK 262, PK 308, PK 327, PK 564, PK 472, पंत सोयाबीन 1024, पंत सोयाबीन 1042, पूसा 16 और पूसा 24 इत्यादि।

सोयाबीन की खेती के लिए खेत की तैयारी के समय दो-तीन बार सुहागे से जुताई करें। बिजाई के लिए जून के पहले सप्ताह से जुलाई के शुरू का समय उचित होता है। बिजाई के समय एक पंक्ति से दूसरी पंक्ति के बीच 45 सेंटीमीटर और एक पौधे से दूसरे पौधे के बीच 4 से 7 सेंटीमीटर का फासला रखें। बीजों को सीड ड्रिल की सहायता से बोएँ।

जहाँ तक बात है बीज की मात्रा की तो एक एकड़ खेत में 25-30 किलोग्राम बीजों का प्रयोग करें। बीजों को मिट्टी से होने वाली बीमारियों से बचाने के लिए थीरम या कप्तान 3 ग्राम से प्रति किलो बीजों का उपचार करें।

सोयाबीन की फसल को कुल तीन से चार सिंचाइयों की ज़रूरत होती है। किसान मित्रों, फली बनने के समय पौधों को सिंचाई की आवश्यकता होती है। इस समय पानी की कमी पैदावार को काफी प्रभावित करती है। आप बारिश की स्थिति के आधार पर पौधों की सिंचाई कर सकते हैं। अच्छी वर्षा की स्थिति में अगर आप सिंचाई नहीं भी करेंगे तो भी कोई नुकसान नहीं है।

जब सोयाबीन की फलियाँ सूख जाएँ व पत्तों का रंग बदल कर पीला हो जाए और पत्ते गिर जाएँ, तब आप फसल कटाई ज़रूर शुरू कर दें। फसल की कटाई दराती से करें। कटाई के बाद पौधों में से बीजों को निकाल कर अलग कर लें। इसके बाद आप चाहें तो उचित खरीदार ढूँढ कर सोयाबीन की बिक्री कर सकते हैं।

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