नई दिल्ली: सोयाबीन को गोल्डन बीन भी कहा जाता है। इसकी खेती कर किसान बम्पर मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। सोयाबीन में कई गुण होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। इसलिए इसकी मांग में बढ़ोतरी लगभग एक समान बनी रहती है। सोयाबीन की खेती के लिए पूर्वी भारत की जमीन और जलवायु को सबसे अच्छा माना जाता है। इस क्षेत्र में सोयाबीन की खेती से अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
अगर आप भी इस फसल की खेती का मन बना रहे हैं तो आपको इससे जुड़ी कुछ बातों की जानकारी ज़रूर होनी चाहिए। मसलन – अधिक उपज पाने के लिए हमेशा सोयाबीन की उन्नत क़िस्म के बीजों का उपयोग करें। बीज को प्रमाणित कंपनी या विभाग से ही खरीदें, ताकि बाद में इसमें कीटों या बीमारियों की संभावना कम हो। बुआई से पहले बीजों का उपचार करें। बीजों को बोने से 24 घंटे पहले इस प्रक्रिया को पूरा करें, ताकि अंकुरण जल्दी हो सके। सोयाबीन की खेती के दौरान इसकी समय पर बुवाई बहुत आवश्यक है। सोयाबीन की बुवाई को मौसम विभाग की सलाह के अनुसार करें। खरीफ सीजन में बोई जाने वाली सोयाबीन की बुवाई बारिश के बाद ही करें।
सोयाबीन की बुवाई के बाद इसकी निराई-गुड़ाई का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि इससे फसल की उपज में वृद्धि होती है। कीटों और बीमारियों से फसल को बचाने के लिए समय-समय पर फसल की निगरानी करते रहें। इसके लिए आप जैविक कीटनाशकों का भी प्रयोग कर सकते हैं। खेत में सही मात्रा में खाद, उर्वरक और खाद की जरूरत का ध्यान दें। खेत में किन पोषक तत्वों की कमी है, इसकी जानकारी प्राप्त कर उनकी पूर्ति करें। सोयाबीन की फसल के लिए आप चाहें तो नीम और जीवामृत से बने खाद का प्रयोग कर सकते हैं।
कई अन्य फसलों की तरह सोयाबीन की फसल में भी कीटों और बीमारियों का प्रकोप हो सकता है। इसलिए, फसल को संक्रमण और कीटों से बचाने के लिए समय-समय पर उचित उपायों का उपयोग करें। किसानों को खेत में हर दिन की निगरानी बनाए रखनी चाहिए और समय रहते कार्रवाई करनी चाहिए। सोयाबीन की खेती से किसान बम्पर मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं, परंतु यह काफी सावधानियों का पालन करने व मेहनत के बाद ही संभव है।