कृषि पिटारा

खास सलाह: मई-जून में ही किसान शुरू करें चारे की तैयारी

नई दिल्ली: दूध उत्पादन की लागत को कम करने में पौष्टिक और सस्ता चारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, यह कहना है इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट और अमूल के पूर्व एमडी आरएस सोढ़ी का। उनके अनुसार, दूध की लागत को कम करने के लिए उत्पादन बढ़ाना महत्वपूर्ण है, और उत्पादन को बढ़ाने में चारे का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है।

चौधरी चरण सिंह, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के चारा एक्सपर्ट ने भी आने वाले मौसम के लिए खास सलाह दी है। उनका कहना है कि किसानों को मार्च में ही कुछ खास तैयारियां करनी होंगी, ताकि गर्मियों में चारे की कमी से निपटा जा सके और गर्मियों में हरे चारे की कोई कमी ना हो।

इस संबंध में वैज्ञानिक डॉ. सतपाल ने बताया कि खासतौर पर ज्वार, बाजरा, लोबिया और मक्का की बुवाई कर अच्छा पौष्टिक चारा तैयार किया जा सकता है। इससे मई में हरे चारे की तैयारी हो सकती है और उसे स्टोर किया जा सकता है ताकि गर्मियों में भी चारे की कोई कमी न रहे।

किसानों को सलाह देते हुए, डॉ. अरविंद कुमार ने कहा कि घर पर भी हरे चारे से साइलेज बनाया जा सकता है। लेकिन उन्होंने यह भी बताया कि पतले तने वाले चारे की फसल को पकने से पहले ही काट लेना चाहिए और उसे सुखाने के बाद छोटे-छोटे टुकड़े करने चाहिए। इससे चारे को अच्छे से संरक्षित रखा जा सकता है और उसकी गुणवत्ता भी बनी रह सकती है।

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