नई दिल्ली: पालक की खेती किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प साबित हो सकती है। जो किसान सब्जियों की खेती करते हैं वो पालक की खेती कर विकल्पों के कुछ अन्य द्वार खोल सकते हैं। पालक की खेती की प्रक्रिया रबी, खरीफ और जायद के तीनों मौसमों में शुरू की जा सकती है, लेकिन इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं।
पालक की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी का चयन करना काफी ज़रूरी है। बेहतर होगा कि आप हल्की दोमट मिट्टी पालक का चयन करें। क्योंकि यह मिट्टी पालक की अच्छी पैदावार के लिए उपयुक्त होती है। जहां तक बीज की मात्रा का सवाल है तो एक हेक्टेयर में पालक की खेती के लिए आमतौर पर 30 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है, लेकिन छिटकवां विधि से खेती करने पर 40 से 45 किलोग्राम बीज भी पर्याप्त होता है। पालक की बुवाई से पहले यह बहुत ज़रूरी है कि 2 ग्राम कैप्टान से प्रति किलोग्राम बीजों को उपचरित किया जाए, इससे पालक की पैदावार में बढ़ोतरी होने की संभावना बढ़ जाती है।
सभी फसलों की तरह पालक की खेती के दौरान भी खेत की तैयारी एक अति महत्वपूर्ण चरण है। जिस खेत में पालक की बुवाई करनी है उसमें कतार से कतार के बीच 25–30 सेंटीमीटर और पौध से पौध के बीच 7–10 सेंटीमीटर की दूरी रखना महत्वपूर्ण है। इससे फसल का विकास अच्छे से होता है। पालक की खेती के दौरान आपको इसकी उन्नत क़िस्मों का चुनाव करना चाहिए। मलसन – देसी पालक, विलायती पालक, ऑल ग्रीन, और पूसा हरित जैसी किस्में उपयुक्त हो सकती हैं। हाँ, पालक की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी के हिसाब से ही उन्नत किस्मों का चयन करें।
पालक की खेती किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प हो सकती है। इस सब्जी को अच्छे भाव में बेचा जा सकता है। जो किसान पालक की खेती शुरू करना चाहते हैं, वो इसकी खेती की प्रक्रिया को समझने और उसे अपने क्षेत्र में अपनाने के लिए किसी विशेषज्ञ किसान या अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर सकते हैं। क्योंकि समुचित जानकारी के साथ वे इस खेती के जरिये अच्छे लाभ प्राप्त करने की संभावना में बढ़ोतरी कर सकते हैं।