नई दिल्ली: फरवरी महीने के साथ ही भारतीय किसानों के लिए एक नया कृषि सत्र शुरू हो रहा है, जिसमें कई मौसमी फसलों की बुआई की जा रही है। इन फसलों की खेती के जरिये किसान अच्छे उत्पादन की आशा कर सकते हैं। इस समय कृषि के लिए उपयुक्त भूमि और मौसम का संग्रहण किसानों के लिए लाभप्रद हो सकता है। इस मौसम में गन्ने की बुआई से लेकर मेंथा, बैंगन, टमाटर, भिण्डी और अन्य सब्जियों की बुआई हो सकती है, वहीं कुछ महत्वपूर्ण बातें ध्यान में रखना किसानों के मुनाफे को बढ़ा सकता है।
गन्ने की बुआई 15 फरवरी के बाद शुर की जा सकती है। गन्ने के बीजों के चयन में उचित सलाह के साथ-साथ स्थानीय चीनी मिल के विशेषज्ञों से परामर्श करना उत्तम होगा। गन्ने की मोटाई के आधार पर बीजों की मात्रा का निर्धारण करना महत्वपूर्ण है। बुआई से पहले बीजों का उचित उपचार करना और गोबर खाद या कंपोस्ट का इस्तेमाल करना किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। गन्ने की फसल में रैटून रोकने के लिए उचित उपायों का अनुसरण करना भी अवश्यक है।
मेंथा की बुआई के लिए भी यह समय उपयुक्त है। मेंथा की खेती के दौरान उचित मात्रा में उर्वरकों का उपयोग करना बहुत ज़रूरी है। मेंथा की बुआई से पहले खेत में गोबर की खाद या कंपोस्ट के मिश्रण का उपयोग करना और बुआई के बाद हल्की सिंचाई करना भी महत्वपूर्ण है।
भिंडी की बुआई के लिए भी फरवरी का महिना उपयुक्त है, अच्छी उपज के लिए इसके उन्नत बीजों का चयन करना महत्वपूर्ण है। बैंगन, सूरजमुखी, टमाटर और लौकी की बुआई के लिए भी यह समय उपयुक्त है। अगर किसान उन्नत तकनीकी उपायों का उपयोग करके इन फसलों की बुआई करते हैं, तो उन्हें अच्छा मुनाफा हो सकता है।
मध्य फरवरी यानी 15 फरवरी के बाद तेल की फसल सूरजमुखी की बुआई करना उपयुक्त होगा। अगर यह फसल लगानी हो, तो 15 से 29 फरवरी के बीच इसकी बुआई कर देनी चाहिए। बुआई के लिए अपने इलाके के मुताबिक़ क़िस्मों का चयन करें। इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक से भी बात कर सकते हैं। हां, सूरजमुखी के संकुल प्रजाति के लिए बीज दर 5-6 किग्रा और संकर प्रजाति के लिए 2.2.5 किग्रा प्रति एकड़ का प्रयोग करें। सूरजमुखी के बीजों को बोने से पहले कार्बेन्डाजिम या थीरम से उपचारित करना न भूलें।
अगर अभी तक टमाटर की गर्मी वाली फ़सल की रोपाई का काम बाकी पड़ा है, तो उसे फटाफट निबटाएं। इसके लिए प्रति एकड़ नाइट्रोजन-40 किलोग्राम, फास्फोरस-32 किलोग्राम और पोटाश 24 किलोग्राम का प्रयोग करना चाहिए। रोपाई से पहले एक तिहाई नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश पूरी मात्रा में मिट्टी में अच्छी तरह मिला देना चाहिए। टमाटर के पौधों की रोपाई 45 बाई 60 सेंटीमीटर के फासले पर करें। रोपाई धूप ढलने के बाद यानी शाम के वक्त करें। रोपाई के बाद बगैर चूके हल्की सिंचाई करें। जनवरी के दौरान लगाए गए टमाटर के पौधों को, नाइट्रोजन मुहैया कराने के लिए पर्याप्त मात्रा में यूरिया डालें।
फरवरी में ही मेंथा की बुआई भी निबटा लेनी चाहिए। बुआई से पहले 12 किलोग्राम नाइट्रोजन, 30 किलोग्राम फॉस्फोरस और 15 किलोग्राम पोटाश का प्रति एकड़ की दर से इस्तेमाल करें। मेंथा की बुआई करने से पहले, खेत के तमाम खरपतवार निकालना न भूलें, क्योंकि ये फ़सल की बढ़वार में रुकावट पैदा करते हैं। बुआई के बाद खेत की हल्की सिंचाई करना न भूलें।
यह महीना बैंगन की रोपाई के लिहाज से भी मुफीद होता है। लिहाजा उम्दा किस्म का चयन करके बैंगन की रोपाई निबटा लें। बैंगन की बेहतर फसल के लिए रोपाई से पहले खेत की कई बार जुताई कर के उसमें गोबर की खाद या कंपोस्ट खाद भरपूर मात्रा में मिलाएं। इसके अलावा खेत में 40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 32 किलोग्राम फॉस्फोरस और 30 किलोग्राम पोटाश प्रति एकड़ की दर की जरूरत होती है। रोपाई से पहले एक तिहाई नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश पूरी मात्रा में मिट्टी में अच्छी तरह डाल कर अच्छी तरह खेत की मिट्टी में मिला दें। पंक्तियों के बीच 60 सेंटीमीटर और पौधों के बीच 50 सेंटीमीटर की दूरी रखकर रोपण करने की सलाह दी जाती है। बैंगन के पौधों की रोपाई भी, सूरज ढलने के बाद, यानी शाम के वक्त ही करें, क्योंकि सुबह या दोपहर में रोपाई करने से धूप की वजह से पौधों के मुरझाने का डर रहता है। रोपाई करने के फ़ौरन बाद पौधों की हल्की सिंचाई करें।