नई दिल्ली: देश के प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में इन दिनों सरकारी खरीद और निजी व्यापार दोनों ही स्तरों पर गेहूं की खरीद बिक्री जोरों पर है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सरकारी खरीद चल रही है, जबकि महाराष्ट्र और गुजरात जैसी जगहों पर निजी व्यापारी मंडियों से गेहूं उठा रहे हैं। ऐसे में मंडियों में गेहूं के दामों में स्पष्ट अंतर देखा जा रहा है।
उत्तर प्रदेश की मंडियों में आज कुल 53,762.39 टन गेहूं की आवक दर्ज की गई। राज्य की अधिकांश मंडियों में गेहूं की कीमतें MSP यानी ₹2275 प्रति क्विंटल के आसपास बनी रहीं। अछल्दा, अकबरपुर, चर्रा और संडीला जैसी मंडियों में गेहूं के दाम मॉडल कीमत के तौर पर ₹2500 से ऊपर रहे। हालांकि, लखीमपुर और मोहम्मदी जैसे कुछ क्षेत्रों में न्यूनतम कीमतें MSP से नीचे जाकर ₹2100 से ₹2150 प्रति क्विंटल तक पहुंच गईं। फिर भी कुल मिलाकर देखा जाए तो किसानों को राज्य के अधिकतर इलाकों में अपनी फसल का उचित मूल्य मिला।
गुजरात की बात करें तो यहां की मंडियों में आज गेहूं की कुल आवक 1,881.85 टन रही, लेकिन कई मंडियों में कीमतें चिंता का विषय बन गईं। अमरेली, बाबरा, ध्रोल और वांकानेर जैसी मंडियों में न्यूनतम कीमतें ₹1600 से ₹2300 के बीच दर्ज की गईं, जो MSP से काफी नीचे हैं। हालांकि जम्बूसर में एक अपवाद देखने को मिला, जहां गेहूं की अधिकतम कीमत ₹3400 प्रति क्विंटल तक पहुंच गई। इसके बावजूद, राज्य के किसानों को औसतन कम दाम मिलने से नुकसान झेलना पड़ सकता है।
महाराष्ट्र में स्थिति बिलकुल विपरीत दिखी। यहां की मंडियों में आज 1,159.90 टन गेहूं की आवक दर्ज की गई और कीमतें कई जगहों पर ₹3000 प्रति क्विंटल के पार रहीं। नागपुर, अकोला और कल्याण जैसी मंडियों में शरबती किस्म के गेहूं की कीमत ₹3300 से ₹3800 प्रति क्विंटल तक पहुंच गई। उल्हासनगर और गंगाखेड़ जैसे स्थानों पर भी मॉडल कीमतें ₹3100 से ₹3200 तक रहीं, जो देशभर में सबसे ऊंची दरों में से हैं।
कुल मिलाकर देखा जाए तो देश की मंडियों में इस समय गेहूं की कीमतों में भारी क्षेत्रीय भिन्नता देखी जा रही है। जहां एक ओर उत्तर प्रदेश में सरकारी खरीद के चलते स्थिरता बनी हुई है, वहीं गुजरात के किसान गिरती कीमतों से चिंतित हैं। दूसरी तरफ महाराष्ट्र में बेहतर किस्म और स्थानीय मांग के चलते किसानों को अच्छी आमदनी हो रही है। विशेषज्ञों की मानें तो किसानों को चाहिए कि वे मंडियों के ताजा भाव की जानकारी लेकर ही अपनी उपज बेचने के फैसले लें, ताकि उन्हें अधिकतम लाभ मिल सके।