नई दिल्ली: हरियाणा सरकार पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए कई प्रयास कर रही है, लेकिन पराली जलाने की घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। धान की फसल लगभग कट चुकी है और किसान धड़ल्ले से पराली जला रहे हैं। इससे न केवल हरियाणा बल्कि पड़ोसी राज्य दिल्ली की हवा भी जहरीली हो गई है।
पराली जलाने की घटनाएँ अंबाला जिले में भी देखने को मिल रही हैं। अंबाला के एग्रीकल्चर डिप्टी डायरेक्टर जसविंदर सिंह ने बताया कि पिछले चार वर्षों में जितने चालान कटे उतने इस एक सीजन में कटे हैं। जो चालान काटे गए हैं उनसे लगभग तीन लाख से ज्यादा रुपये वसूले गए हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि पूरा प्रयास किया जा रहा है कि लोग पराली न जलाएं। इसके लिए कृषि विभाग की टीम लगातार फील्ड में घूम रही है। उन्होंने बताया कि अंबाला में लगभग 95 फीसदी एरिया एडजेक्ट हो चुका है। जो 5 फीसदी एरिया बचा है वो बासमती का है जिसकी हाथ से कटाई की जाती है। उन्होंने कहा कि अभी तक 165 लोकेशन पर पराली जलाने की घटनाएं हुई हैं, जिन पर 3 लाख 15 हजार रुपये का फाइन किया गया है।
उन्होंने कहा कि पराली जलाने को रोकने के लिए कृषि विभाग की टीम पिछले 15 दिनों से फील्ड में है और प्रशासन का इसमें पूरा सहयोग मिल रहा है। उन्होंने कहा कि त्योहारों के सीजन में भी कर्मचारियों की छुट्टी रद्द की गई है। उसी का परिणाम है कि अबकी बार पिछले साल के मुकाबले आगजनी की घटनाएं कम हुई हैं।
हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं के कई कारण हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
किसानों की जानकारी की कमी: कई किसानों को यह नहीं पता कि पराली जलाने से क्या नुकसान होता है। वे यह समझते हैं कि यह पराली से छुटकारा पाने का एक आसान तरीका है।
मशीनरी की कमी: पराली को जलाने के अलावा, उसे खेत में दबाया जा सकता है या जैविक खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, इन तरीकों के लिए मशीनरी की आवश्यकता होती है, जो कई किसानों के पास नहीं है।
सरकार की नीतियों में कमी: सरकार द्वारा पराली जलाने को रोकने के लिए कई नीतियां लागू की गई हैं, लेकिन इन नीतियों को पूरी तरह से लागू नहीं किया जा रहा है।
हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
किसानों को जागरूक करना: किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। इसके लिए सरकार को विभिन्न माध्यमों से किसानों को जागरूक करने के कार्यक्रम चलाने चाहिए।
मशीनरी की उपलब्धता बढ़ाना: सरकार को किसानों को पराली को जलाने के अलावा अन्य तरीकों के लिए मशीनरी उपलब्ध कराने के लिए सब्सिडी देनी चाहिए।
सरकार की नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करना: सरकार को पराली जलाने को रोकने के लिए लागू की गई नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करना चाहिए। इसके लिए सरकार को सख्त कानून और जुर्माने की व्यवस्था करनी चाहिए।
हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए कृषि विभाग और प्रशासन द्वारा किए जा रहे प्रयासों से कुछ हद तक फायदा हुआ है। हालांकि, अभी भी काफी कुछ किया जाना बाकी है। सरकार को पराली जलाने की घटनाओं को पूरी तरह से रोकने के लिए प्रभावी उपाय करने चाहिए।