कृषि पिटारा

गन्ने की इस Wonder Variety (Co 0238) में हैं इतनी खूबियाँ कि आप भी हो जाएंगे हैरान

गन्‍ना, भारत की एक प्रमुख नकदी फसल है जिसकी खेती अर्ध उष्‍णकटिबंधीय तथा कटिबंधीय क्षेत्रों में लगभग 5 मिलियन हैक्‍टर से भी अधिक क्षेत्रफल में की जाती है। अर्ध उष्‍णकटिबंधीय क्षेत्र का गन्‍ने की खेती में 55 प्रतिशत से भी अधिक क्षेत्रफल का योगदान है, हालांकि, उष्‍णकटिबंधीय भारत के साथ तुलना करने पर इस क्षेत्र में गन्‍ना उपज और शर्करा  की वसूली (प्रतिशत) कम है।

Co 0238 (करन 4) एक उच्‍च उपजशील और उच्‍च शर्करा मात्रा वाली किस्‍म है जिसे Co LK 8102 x Co 775  के क्रॉस से उत्‍पन्‍न किया गया है। इस किस्‍म का विकास गन्‍ना प्रजनन संस्‍थान, क्षेत्रीय केन्‍द्र, करनाल में किया गया और उसे वर्ष 2009 के दौरान फसल मानकों, अधिसूचना और किस्‍मों को जारी करने वाली केन्‍द्रीय उपसमिति द्वारा हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी और मध्‍य उत्‍तर प्रदेश, उत्‍तराखण्‍ड और राजस्‍थान राज्‍यों को शामिल करते हुए उत्‍तर – पश्चिमी जोन में व्‍यावसायिक खेती के लिए एक अगेती किस्‍म के रूप में जारी किया गया।

उत्‍तर – पश्चिमी जोन में वर्ष 2006-08 के दौरान अखिल भारतीय समन्वित गन्‍ना अनुसंधान परियोजना के अंतर्गत सात स्‍थानों पर इस किस्‍म का मूल्‍यांकन किया गया। इसे गन्‍ना उपज (81 टन/ है.); शर्करा उपज; तथा सुक्रोज मात्रा (प्रतिशत) के लिए क्रमश: पहला, दूसरा और पांचवा स्‍थान दिया गया। उत्‍तर – पश्चिमी जोन की एक बहुप्रचलित अगेती परिपक्‍वता किस्‍म CoJ 64 की तुलना में Co 0238  में  गन्‍ना उपज, शर्करा उपज तथा सुक्रोज प्रतिशत में क्रमश: 19.96, 15.83 और 0.50 प्रतिशत सुधार देखने को मिला । Co 0238 का गुड़ हल्‍के पीले रंग के साथ ए-1 गुणवत्‍ता वाला है। यह किस्‍म लाल सड़न रोगजनक की प्रचलित नस्‍ल की संतुलित प्रतिरोधी है।

चूंकि इस किस्‍म में उच्‍च गन्‍ना उपज और बेहतर जूस गुणवत्‍ता दोनों गुण सम्मिलित हैं, यह किस्‍म कहीं तेज गति से खेत में फैलती है और इसलिए किसानों और चीनी उद्योग दोनों द्वारा इसे पसंद किया जा रहा है। वर्ष 2009-10 से Co 0238 के तहत अर्ध उष्‍णकटिबंधीय भारत के सभी पांच प्रमुख गन्‍ना उत्‍पादक राज्‍यों यथा पंजाब, हरियाणा, उत्‍तराखण्‍ड, उत्‍तर प्रदेश और बिहार में कहीं तीव्र गति से इसके खेती क्षेत्रफल में वृद्धि हुई है। तथापि, इस किस्‍म को उत्‍तर – पश्चिमी जोन में खेती के लिए जारी किया गया था लेकिन यह  राज्‍यों की सीमाओं को पार करते हुए पूर्वी उत्‍तर प्रदेश, बिहार, मध्‍य प्रदेश और ओडि़शा तक पहुंच गई है। वर्ष 2015-16 के दौरान उत्‍तर भारत में कुल गन्‍ना खेती क्षेत्रफल (21,77,802 है.) के लगभग 20.5 प्रतिशत क्षेत्रफल पर Co 0238 (4,47,459 है.) की  खेती की गई। इस किस्‍म के तहत सबसे अधिक खेती क्षेत्रफल पंजाब (70 प्रतिशत क्षेत्रफल) और उसके बाद क्रमश: हरियाणा (29 प्रतिशत), उत्‍तर प्रदेश (19.6 प्रतिशत), उत्‍तराखण्‍ड (8.4 प्रतिशत) और बिहार (6 प्रतिशत) में था।

वर्ष 2013 – 14 के दौरान Co 0238 के खेती क्षेत्रफल 72,623 है. (3.1 प्रतिशत) से  वर्ष 2014-15 के दौरान 1,76,763 (8.3 प्रतिशत) की वृद्धि होने के कारण उत्‍तर प्रदेश के 20 जिलों में उच्‍चतर गन्‍ना उपज और शर्करा वसूली (प्रतिशत) पाई गई। Co 0238 के नगण्‍य खेती  क्षेत्रफल वाले 24 जिलों की औसत गन्‍ना उपज के मुकाबले इन 20 जिलों में औसत गन्‍ना उपज 2.7 टन/है. अधिक पाई गई। इसके परिणामस्‍वरूप 4.77 लाख टन (2.7 x 1,76,763) का अतिरिक्‍त गन्‍ना उत्‍पादन हुआ। परिणामस्‍वरूप उत्‍तर प्रदेश राज्‍य के किसानों को गन्‍ना मूल्‍य के रूप में 133.56 करोड़ रूपये (4.77 लाख टन x 2800) की अतिरिक्‍त राशि प्राप्‍त होगी। अत:  जिन किसानों ने Co 0238 की खेती की थी, उनकी प्रति हैक्‍टर लाभप्रदता लगभग 7500/- अधिक थी।  Co 0238 की खेती करने से 20 जिलों की उन्‍नत शर्करा वसूली से उत्‍तर प्रदेश में चीनी मिलों को  1,575 टन (4.77 x 0.33) (अनुमानित) अतिरिक्‍त चीनी उत्‍पादन करने में मदद मिली। इस प्रक्रिया में राज्‍य की चीनी मिलों ने 3.94 करोड़ रूपये (1,575 x 25,000) की अतिरिक्‍त राशि अर्जित की।

अत: वर्तमान परिदृश्‍य में, इस किस्‍म की खेती से चीनी मिलों को होने वाले नुकसान में कमी लाने में कुछ हद सहायता मिली है। वर्ष 2014-15 के दौरान Co 0238 की खेती करने से अकेले उत्‍तर प्रदेश राज्‍य के किसानों और चीनी मिलों को 137.5 करोड़ रूपये का अतिरिक्‍त लाभ हुआ है।

वर्ष 2015-16 के दौरान, उत्‍तर प्रदेश के सीतापुर जिले की एक चीनी मिल ने दिनांक 21 दिसम्‍बर, 2015 को अधिकतम शर्करा  वसूली (12.1 प्रतिशत) दर्ज की जो कि अर्ध उष्‍णकटिबंधीय भारत में अब तक सबसे ज्‍यादा वसूली है। उत्‍तर प्रदेश में शर्करा वसूली पर Co 0238 किस्‍म के सम्‍यक प्रभाव की इस खबर के फैलते ही भाकृअनुप – गन्‍ना प्रजनन संस्‍थान में महाराष्‍ट्र, तमिलनाडु तथा आन्‍ध्रप्रदेश जैसे कई राज्‍यों से इसके  बीजों की मांग की बाढ़-सी आ गई। देश में गन्‍ना उद्योग के इतिहास में पहली बार उष्‍णकटिबंधीय भारत में किसी अर्ध उष्‍णकटिबंधीय गन्‍ना किस्‍म की मांग के रूझान में प्रतिलोम बदलाव देखने को मिला है ।  

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