नई दिल्ली: सूरजमुखी की फसल को सामान्यतः हर प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है। जो किसान मित्र सूरजमुखी की व्यवसायिक खेती करना चाहते हैं, उन्हें शुरुआत में ही इससे जुड़े कुछ प्रमुख तथ्यों के बारे में जान लेना चाहिए। मसलन – सूरजमुखी की खेती की शुरुआत कब करनी चाहिए? खेत की तैयारी करते समय किन छोटी-बड़ी सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए? या फिर फसल को रोगों से बचाने के लिए बीजोपचार की उचित विधि क्या है? इत्यादि। तो चलिये इन तमाम बिन्दुओं पर प्रकाश डालते हैं।
हल्की भूमि, जिसमें पानी का निकास अच्छा हो सूरजमुखी की खेती के लिये उपयुक्त होती है। भूमि की तैयारी के लिए गर्मी और वर्षा के मौसम में खेत की अच्छे से जुताई करें या बखर चलाएँ। इससे मिट्टी अच्छी तरह से भुरभुरी हो जाएगी। भूमि की तैयारी के बाद एक महत्वपूर्ण कदम होता है अच्छे किस्मों के बीजों का चुनाव। बेहतर होगा कि बीजों का चुनाव आप अपने क्षेत्र विशेष की संस्तुतियों के आधार पर करें। वैसे मार्डन, बी.एस.एच.-1, एम.एस.एच., ज्वालामुखी, सूर्या और एम.एस.एफ.एच.-4 आदि किस्में भी बेहतर उपज देने के लिए जानी जाती हैं।
सूरजमुखी के बोनी का उपयुक्त समय सिंचित क्षेत्रों से खरीफ फसल की कटाई के बाद का होता है। यानी अक्टूबर मध्य से लेकर नवम्बर महीने के अंत तक। अक्टूबर माह की बोनी में अंकुरण जल्दी और अच्छा होता है। देर से बोनी करने पर अंकुरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। किसान मित्रों, अगर आप असिंचित क्षेत्र में सूरजमुखी की खेती करना चाहते है तो इसकी बोनी वर्षा समाप्त होते ही सितंबर माह के प्रथम सप्ताह से आखरी सप्ताह तक कर दें। जबकि ग्रीष्मकालीन फसल की बोनी का सही समय जनवरी महीने के तीसरे सप्ताह से फरवरी महीने के अंत तक है।
सूरजमुखी की बुआई के दौरान यदि आप उन्नत किस्मों के बीज ले रहे हैं तो इसकी मात्रा 10 किग्रा/हेक्टेयर रखें। संकर किस्मों के बीज की मात्रा 6 से 7 किग्रा/हेक्टेयर रखें। किसान मित्रों, सूरजमुखी की खेती के दौरान फसल के बीच उचित दूरी बनाए रखना भी काफी आवश्यक है। पछेती खरीफ एवं जा़यद की फसल के लिए कतार से कतार की दूरी 45 सेमी एवं रबी फसल के लिए 60 सेमी होनी चाहिए। जबकि पौधे से पौधे की दूरी 25 से 30 सेमी रखनी चाहिए। बोनी कतारों में सीडड्रिल की सहायता से या फिर तिफन या दुफन से सरता लगाकर करें। सूरजमुखी की बुआई के समय बीजोपचार ज़रूर करें। इससे बीजों की अंकुरण क्षमता बढ़ जाती है और फंफूंदजन्य बीमारियों से फसल सुरक्षित रहती है।
किसान मित्रों, फसल की कटाई एक महत्वपूर्ण क्रिया है। सूरजमुखी की कटाई फसल के परिपक्व होने पर अच्छी तरह से जाँच-परख के बाद ही करें। यानी जब फसल के पौध पक कर पीले रंग में बदलने लगें तब। इस समय एक बात का ध्यान रखें कि सूरजमुखी की फ्लेटें एक साथ नहीं पकती हैं। इसलिए सावधानीपूर्वक केवल परिपक्व फ्लेटें ही काटें। कटाई के पश्चात फ्लेटों को खेत में सुखाने के लिए 5 से 6 दिनों तक छोड़ दें। इससे फ्लेटों की अतिरिक्त नमी सूख जाएगी। इसके बाद में आप फसल से सूरजमुखी के दानों को अलग कर उचित तरीके से उनका भंडारण कर लें या फिर बिक्री की दिशा में आगे बढ़ें।