नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में गन्ने की पेराई शुरू हो गई है। साथ-साथ किसान शीतकालीन गन्ने की बुवाई भी कर रहे हैं। ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को गन्ने की बुवाई करने से पहले कुछ सावधानियां बरतने की सलाह दी है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, शीतकालीन गन्ने की बुवाई करने से पहले खेत की अच्छी तरह से गहरी जुताई कर लें। इसके बाद प्रति हेक्टेयर 10 टन गोबर खेत में डाल दें। फिर एक बार खेती की जुताई करने के बाद पाटा चलाकर मिट्टी को समतल कर दें। इससे गोबर मिट्टी में अच्छी तरह से मिल जाएगा। अब आप सिंगल बड़ से गन्ने की बुवाई कर सकते हैं। खास बात यह है कि अगर आप सिंगल बड़ से गन्ने की बुवाई करते हैं, तो आपको प्रति हेक्टेयर 10-12 क्विंटल गन्ने का बीज लगेगा। यदि आप दो आंख के गन्ने की बुवाई करेंगे, तब प्रति हेक्टेयर 65 से 70 क्विंटल बीज की खपत होगी।
गन्ने की बुवाई करते समय एक लाइन से दूसरी लाइन की दूरी 4 फीट से कम नहीं होनी चाहिए। साथ ही बीज की बुवाई 5 सेंटीमीटर की गहराई में ही करें। 20 से 25 दिन बाद गन्ने का पूरा जमाव हो जाएगा। फिर बुवाई के करीब एक महीने बाद गन्ने की हल्की सिंचाई कर दें। सिंचाई के समय आप खेत में प्रति हेक्टेयर की दर से 70 किलो यूरिया का भी छिड़काव कर सकते हैं। इससे गन्ने में रोग नहीं लगेगा और उत्पादन भी बंपर होगा।
इसके अलावा आप प्रति हेक्टेयर की दर से गन्ने के खेत में 100 किलो एमओपी, 25 किलो जिंक सल्फेट और 25 किलो रीजेंट भी डाल सकते हैं। वैज्ञानिकों की माने तो गन्ने के खेत में किसान रासायनिक खाद के साथ- साथ जैविक उर्वरक का भी उपयोग कर सकते हैं। गन्ने की बुवाई करते समय किसान प्रति हेक्टेयर की दर से 5 किलो बवेरिया बेसियाना मेटाराइजियम एनिसोप्ली, 10 किलो पीएसबी और 10 किलो एजोटोबैक्टर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। आप चाहें तो गन्ने के खेत में आलू, लहसुन, मटर और राजमा की भी बुवाई कर सकते हैं। इससे आपको दोहरा लाभ होगा।