भारत में चाय केवल एक पेय नहीं, बल्कि एक संस्कृति है। सुबह की शुरुआत हो या शाम की थकान, चाय हर भारतीय के दिन का अहम हिस्सा बन चुकी है। एक ताजा सर्वे के अनुसार, भारत में लगभग 70 से 72 प्रतिशत लोग रोजाना नियमित रूप से चाय पीते हैं। सर्दी हो या गर्मी, चाय पीने की आदत में कोई बदलाव नहीं आता, और यही वजह है कि देश में चाय की खपत लगातार बढ़ती जा रही है। विशेष रूप से ऑफिसों और शहरी क्षेत्रों में चाय की मांग कहीं अधिक देखी जाती है।
इसी बढ़ती मांग को देखते हुए चाय की खेती अब एक फायदे का सौदा बन गई है। भारत पहले से ही दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चाय निर्यातक देश है। यहां चाय की खेती मुख्य रूप से पूर्वोत्तर राज्यों जैसे असम और पश्चिम बंगाल में होती है, जो देश के कुल चाय उत्पादन का लगभग 83 प्रतिशत हिस्सा प्रदान करते हैं। अब इस सूची में एक नया नाम तेजी से उभर रहा है – बिहार।
बिहार में चाय की खेती का बढ़ता रुझान
बीते कुछ वर्षों में बिहार में चाय की खेती का रकबा तेजी से बढ़ा है। राज्य के सीमांचल क्षेत्र में चाय की खेती के लिए अनुकूल जलवायु और मिट्टी होने की वजह से यहां इसकी संभावनाएं तेजी से विकसित हो रही हैं। खास बात यह है कि बिहार सरकार भी इस दिशा में सक्रिय हो चुकी है और किसानों को चाय की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से विशेष सब्सिडी योजना चला रही है।
चाय विकास योजना: किसानों के लिए एक सुनहरा मौका
बिहार सरकार द्वारा शुरू की गई “चाय विकास योजना” के अंतर्गत राज्य के किसानों को चाय की खेती के लिए प्रति एकड़ ₹2.47 लाख तक की सब्सिडी दी जा रही है। योजना के तहत अधिकतम 4 हेक्टेयर भूमि तक सब्सिडी प्राप्त की जा सकती है। सरकार ने प्रति हेक्टेयर 4.94 लाख रुपये की लागत सीमा निर्धारित की है। वहीं, न्यूनतम 0.1 हेक्टेयर जमीन पर चाय की खेती करने वाले किसान भी इस योजना का लाभ ले सकते हैं।
कैसे मिलती है सब्सिडी?
इस योजना के तहत किसानों को दो किस्तों में सब्सिडी प्रदान की जाती है। पहली किस्त चाय के पौधे लगाने के समय और दूसरी किस्त पहले से लगाए गए पौधों की देखभाल और विकास कार्य के लिए दी जाती है। यह भुगतान 75:25 के अनुपात में होता है, जिससे किसानों को शुरुआती खर्च का बड़ा हिस्सा सरकार से मिल जाता है।
किन जिलों के किसान उठा सकते हैं लाभ?
फिलहाल यह योजना बिहार के सीमांचल और कोसी क्षेत्र के कुछ जिलों में लागू की गई है। पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, सुपौल और कटिहार जिलों के किसान इस योजना के पात्र हैं और चाय की खेती के लिए सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं।
आवेदन कैसे करें?
इस योजना का लाभ उठाने के लिए इच्छुक किसान बिहार सरकार के बागवानी निदेशालय की आधिकारिक वेबसाइट horticulture.bihar.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। वेबसाइट पर विस्तृत जानकारी और जरूरी दस्तावेजों की सूची भी उपलब्ध है।
चाय की खेती: भविष्य की फसल
चाय की खेती न केवल एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में उभर रही है, बल्कि यह ग्रामीण युवाओं को रोजगार देने और राज्य के कृषि क्षेत्र को विविधता प्रदान करने में भी अहम भूमिका निभा रही है। अगर सरकारी सहयोग और आधुनिक तकनीकों का समुचित उपयोग किया जाए, तो बिहार आने वाले वर्षों में देश के प्रमुख चाय उत्पादक राज्यों की सूची में शामिल हो सकता है। चाय की बढ़ती मांग और सरकार की पहल को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि बिहार में चाय की खेती अब केवल एक प्रयोग नहीं, बल्कि एक नई संभावनाओं की राह बन चुकी है।