कृषि पिटारा

शीशम की खेती से खुल रहे हैं आर्थिक उन्नति के द्वार

नई दिल्ली: शीशम (Sheesham) एक प्रमुख वनस्पति है, जो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और इंडोनेशिया आदि देशों में प्रमुखता से पाई जाती है। इसका वैज्ञानिक नाम ‘Dalbergia sissoo’ है। शीशम का वृक्ष आमतौर पर लंबा होता है। लकड़ी के लिए यह वृक्ष बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि इसकी लकड़ी बेहद ही मजबूत होती है। इस वजह से इसके वृक्ष की कीमत काफ ज़्यादा होती है। शीशम की लकड़ी से बना फर्नीचर कई दशकों तक चलता है। इसलिए इसकी मांग में हमेशा तेजी देखने को मिलती है।

शीशम की लकड़ी दुनिया भर में उच्च गुणवत्ता और मजबूती के लिए मशहूर है। इसकी लकड़ी जो अद्वितीय रंग और रोट रिसिस्टेंस के लिए प्रसिद्ध है।शीशम की खेती से फायदा कृषि सेक्टर में भी होता है। इसका वृक्ष जल संचयन की क्षमता को बढ़ाता है। इसके फल और पत्तियाँ भी पशुओं के लिए खाद्य के रूप में प्रयुक्त होते हैं।

शीशम की लकड़ी वाणिज्यिक उद्योग में भी महत्वपूर्ण है, जैसे कि फर्नीचर निर्माण, खिलौनों का निर्माण और सामान्य निर्माण के लिए। अगर आप शीशम की खेती करना चाहते हैं तो इसके लिए उपयुक्त भूमि का चयन करें, जो अच्छे जल निकास और उच्च उपजाऊ मिट्टी से परिपूर्ण हो। इसके बाद उच्च गुणवत्ता वाले शीशम के बीजों का चयन करें और उन्हें नर्सरी में विकसित करने के बाद बगीचे में बुआई करें। पौधों की वृद्धि के दौरान नियमित रूप से पौधों की देखभाल करें, जैसे कि पानी देना, खाद्य प्रदान करना और कीट प्रबंधन करना।

जब शीशम का वृक्ष पूर्ण रूप से विकसित हो जाएँ तो वृक्षों की कटाई सावधानीपूर्वक करें और उच्च गुणवत्ता वाली लकड़ी की बिक्री के लिए सरकारी और निजी बाजारों का चुनाव करें। आजकल किसान शीशम की बुआई कर बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं। इससे उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो रही है।

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