कृषि पिटारा

उन्नत बीज उत्पादन के क्षेत्र में भी हैं किसानों के लिए भरपूर मौके

नई दिल्ली: बदलते जमाने के साथ अब देश के किसान भी अपने आप को तेजी से बदलने की कोशिश कर रहे हैं। इस दिशा में किसानों का प्रयास है कि आधुनिक कृषि के साथ अपनी आमदनी को भी तेजी से बढ़ाया जाए ताकि कृषि अब केवल जीवनयापन का साधन भर ना रहे बल्कि उनके जीवन में उन्नति व बदलाव का सबब बने। अब काफी किसान अनाजों, फलों और सब्जियों की बजाय अलग-अलग फसलों के बीजों की खेती पर जोर दे रहे हैं। इसमें उन्हें बढ़िया मुनाफा मिल रहा है। फसल उत्पादन में गुणवत्तायुक्त बीजों का अहम स्थान है। अब समय बदल रहा है, तो बीज उत्पादन को वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ-साथ उद्योग की नजर से भी देखा जा रहा है। ताकि किसान अधिक से अधिक लाभ कमा सके।

बीज उत्पादन को खेती की बजाय उद्योग के रूप में अपनाकर किसान न सिर्फ अपनी खेती को उन्नत बना सकते हैं बल्कि अन्य किसानों को उत्तम बीज की आपूर्ति कर अपनी आय को भी बढ़ा सकते हैं। अगर किसान पारंपरिक तौर पर किए जाने वाले फसल उत्पादन को छोड़कर उन्नत बीजों की खेती शुरू करें तो यह उनके लिए फायदे का सौदा होगा। व्यावसायिक दृष्टिकोण से बीजों का उत्पादन करने के लिए इनका वर्गीकरण इस प्रकार किया जा सकता है:

न्यूक्लियस बीज: कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किए गए उन्नत किस्मों के मूल बीज को न्यूक्लियस बीज कहा जाता है।  यह उच्चतम आनुवंशिक शुद्धता वाला बीज होता है, जो कि संबंधित फसल के पादप प्रजनक की देखरेख में तैयार किया जाता है। 

प्रजनक बीज: आनुवंशिक शुद्धता के प्रमाणित बीज का उत्पादन एवं इनका किसानों को पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होना, प्रजनक बीजों के उच्च आनुवंशिक शुद्धता युक्त उत्पादन एवं उनकी मात्रा पर निर्भर करता है। इसके उत्पादन का कार्य भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के नियंत्रण में देश के विभिन्न कृषि अनुसंधान केन्द्रों व राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा किया जाता है। 

आधार बीज: यह भी बीजों का महत्वपूर्ण वर्गीकरण है। इस बीज का उत्पादन प्रजनक बीज से किया जाता है। इसका उत्पादन मुख्य तौर पर राजकीय कृषि फार्मों तथा कुछ चयनित प्रशिक्षित बीज उत्पादकों के खेतों पर किया जाता है। बीज प्रमाणीकरण संस्था की देखरेख में निर्धारित क्षेत्र व बीज मानकों पर सही पाए जाने पर इसे प्रमाणित किया जाता है। इस पर सफेद रंग का टैग लगा होता है। 

प्रमाणित बीज: आधार बीज से द्विगुणन कर प्रमाणित बीज तैयार किया जाता है। इसे कुछ चयनित बीज उत्पादकों व प्रगतिशील किसानों के खेतों पर तैयार किया जाता है। इसे बीज प्रमाणीकरण संस्था की देखरेख में निर्धारित क्षेत्र व बीज मानकों पर सही पाए जाने पर प्रमाणित किया जाता है। प्रमाणित बीज पर नीले रंग का टैग लगा होता है। सामान्य तौर पर यही प्रमाणित बीज किसानों को फसल उत्पादन हेतु उपलब्ध होता है। 

सत्यचिन्हित बीज: यह बीज प्रमाणित बीज से तैयार किया जाता है। यह बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा प्रमाणित नहीं किया जाता है। इसकी भौतिक शुद्धता एवं अंकुरण क्षमता के प्रति उत्पादक स्वयं जिम्मेदार होता है। इसकी अंकुरण क्षमता भी लगभग प्रमाणित बीज के समान ही होती है।

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