जैतून एक प्रमुख फलीदार पेड़ है, जिसके फलों से जैतून तेल प्राप्त किया जाता है। जैतून की खेती विभिन्न भूमिगत और जलवायु स्थितियों में की जा सकती है और इसका उत्पादन अधिकांशतः उष्णकटिबंधीय और सब-उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में होता है। जैतून की खेती वाणिज्यिक और खाद्य उत्पादन उद्देश्यों के लिए किया जाता है। इससे जैतून तेल, जैतून की पट्टी (कलमायी), जैतून के पत्ते और जैतून का मुरब्बा आदि प्राप्त किए जाते हैं।
जैतून की खेती के लिए उचित मिट्टी, उपयुक्त जलवायु, सुरक्षित स्थान और अच्छी देखभाल की आवश्यकता होती है। यह पेड़ सम्पूर्ण वर्ष बहुत संवेदनशील रहता है। विशेष रूप से सुखा, तापमान व प्रकाश के प्रति। जैतून के पेड़ सामान्य रूप से गहरे, सुनहरे पत्तों के साथ विशेषतः छोटे, गोलाकार, हरे रंग के फलों को पैदा करते हैं।
यदि आप जैतून की खेती करना चाहते हैं, तो इन बातों का ध्यान रखते हुए इसकी खेती शुरू करें:
मौसम और जलवायु: जैतून के फल को पकाने और बीजों के परिपक्व होने के लिए उष्णकटिबंधीय व सब-उष्णकटिबंधीय क्षेत्र मत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जैतून मध्यम तापमान की जलवायु में अच्छे से विकसित होता है।
मिट्टी: जैतून के पेड़ों के लिए गहरी, भूस्खलनशील, निचली बालू संपन्न मिट्टी की आवश्यकता होती है। जैतून की खेती के लिए उचित पानी के संचयन वाली और निर्धारित सीमा में उपजाऊ भूमि का चुनाव करें।
बीज चुनाव: बेहतर पैदावार के लिए जैतून की उच्च गुणवत्ता वाले जैतून के बीजों का चयन करें और ज्यादातर स्थानीय प्रजातियों का उपयोग करें।
बागवानी और रोपण: जैतून पेड़ों की उगाई बागवानी के माध्यम से होती है, जिसमें बीजों को समय पर उगाया जाता है और बागीचे को अच्छी तरह से तैयार किया जाता है।
सीधी लगाई और प्रबंधन: समय पर और उचित दूरी पर जैतून की सीधी लगाई करें और पेड़ों का उचित प्रबंधन करें। इसमें पौधों के संरक्षण, खाद्य और जल प्रबंधन शामिल है।
देखभाल: जैतून पेड़ों को शुरुआत में नियमित रूप से पानी दें, उचित खाद्य प्रदान करें, कीटनाशक और रोगनाशक का उपयोग करें, पौधों को ट्रिमिंग की आवश्यकता के अनुसार काटें।
यदि आप जैतून की खेती के बारे में विस्तृत जानकारी चाहते हैं, तो आप स्थानीय कृषि विभाग या कृषि विशेषज्ञ से भी संपर्क कर सकते हैं।