नई दिल्ली: ब्रोकली एक ऐसी सब्जी है जिसका बाज़ार काफी अच्छा है,खास तौर पर शहरों में। देश के विभिन्न हिस्सों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। मध्यम ठंडी जलवायु वाले पर्वतीय व मैदानी क्षेत्रों में इसकी व्यावसायिक खेती के जरिये आजकल किसान काफी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। जिन सब्जी उत्पादक किसानों को अन्य सब्जियों का अच्छा भाव नहीं मिलता, उनके लिए ब्रोकली की खेती आमदनी बढ़ाने का एक बढ़िया उपाय है।
ब्रोकली के अच्छे उत्पादन के लिये मध्यम ठंडी जलवायु यानी 15-20 डिग्री सेल्सियस तापमान बेहतर होता है। इसकी अगेती प्रजातियों के लिये 20-30 डिग्री सेल्सियस, मध्यावधि किस्मों के लिये 12-18 डिग्री सेल्सियस जबकि पिछेती किस्मों के लिये 5-7 डिग्री सेल्सियस तापमान बेहतर होता है। अगर बात करें मिट्टी की गुणवत्ता की तो 6 से 6.8 पीएच मान वाली मिट्टी में ब्रोकली की खेती बढ़िया उपज प्राप्त करने की संभावना को काफी बढ़ा देती है।
ब्रोकली की बुआई के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में अलग समय है। मैदानी क्षेत्रों में ब्रोकली की अगेती किस्मों को जुलाई में लगाया जाना चाहिए। जबकि मध्यवर्ती किस्मों को अगस्त तथा पिछेती किस्मों को अक्टूबर में लगाना अच्छा होता है। जबकि पर्वतीय क्षेत्रों में ब्रोकली की खेती मई से नवम्बर के बीच करनी चाहिए।
ब्रोकली की व्यवसायिक खेती के लिए बीज का चुनाव काफी सोच समझ कर करना चाहिए। अच्छे बीज अच्छी फसल लेने में सहायक होते है। अत: लाभकारी खेती हेतु अच्छे बीज का चयन करें। ब्रोकली की अगेती किस्में रोपण के 60-70 दिनों के बाद तैयार हो जाती हैं। इस किस्म के अंतर्गत डी सिक्को, ग्रीन बड तथा स्पार्टन अर्ली ब्रोकली की उन्नत प्रजातियाँ हैं। अगर आप संकर किस्मों की बुआई करना चाहते हैं तो सर्दन कोमैट, प्रीमियम क्रापका का चुनाव करना उपज के लिहाज से आपके लिए बेहतर होगा।
ब्रोकली की मध्यवर्गीय किस्में लगभग 100 दिन में तैयार हो जाती हैं। इनमें आप ग्रीन स्प्राउटिंग मीडिया, क्रोसैर, क्रोना, ईमेरलर्ड का चुनाव कर सकते हैं। किसान मित्रों, अगर आप इस फसल की पिछेती किस्मों की बुआई करना चाहते हैं तो आप पूसा ब्रोकली-1, के.टी., सलेक्शन-1, पालम समृद्धि, स्टिफ, कायक और लेट क्रोना आदि किस्मों में से किसी का भी चुनाव कर सकते हैं। ये किस्में रोपाई के लगभग 120 दिनों के बाद तैयार हो जाती हैं।
ब्रोकली की उत्तम व गुणवत्तायुक्त
उत्पादन के लिए प्रति हेक्टेयर की दर से
20-25
टन सड़ी गोबर की खाद, 40-50 किग्रा नत्रजन,
60-80 किग्रा फॉस्फोरस तथा 40-60 किग्रा पोटाश की आवश्यकता
होती है। फॉस्फोरस व पोटाश
की पूरी मात्रा और नत्रजन की आधी मात्रा रोपाई के समय एवं शेष आधी मात्रा बराबर
भागों में बांटकर दो बार में रोपाई से 20 व 40 दिनों
बाद उपयोग करें। किसान मित्रों, ब्रोकली का फूल जब
गठा हुआ, हरे रंग का व उचित आकार का हो तभी डंठल सहित इसकी तुड़ाई करनी
चाहिये। तुड़ाई करने में विलम्ब होने से ब्रोकली के फूल में पीलापन आ
जाता है और स्वाद में विपरीत प्रभाव पड़ता है।