कृषि पिटारा

धनिया की फसल के लिए ये रोग हैं खतरनाक

नई दिल्ली: धनिया (Coriander) एक लोकप्रिय मसाला है, जो भारतीय रसोईघरों में व्यापक रूप से उपयोग होता है। इसमें कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। इसकी खेती से किसानों को अच्छा खासा मुनाफा होता है। लेकिन कभी-कभी इस फसल को कुछ रोग अपनी चपेट में ले लेते हैं। अगर समय रहते इनपर नियंत्रण नहीं किया गया तो फसल को काफी नुकसान पहुँच सकता है। ये रोग इस प्रकार हैं:

धनिया का धूमकेतु रोग (Powdery Mildew): यह एक कवकीय रोग है जो, धनिया की पत्तियों पर सफेद धूलिदार पदार्थ की रूप में प्रकट होता है। इससे पत्तियाँ सूखने लगती हैं और पूरा पौधा अपना पोषण खो देता है।

धनिया का सर्कुलियम ब्लाइट (Cercospora Blight): इस रोग में धनिया के पत्तों पर काले रंग के दाग बन जाते हैं और पत्तियाँ सूखने लगती हैं। इससे पौध की वृद्धि कम होती है और फलों की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।

धनिया का डैम्पिंग ऑफ (Damping Off): यह नए पौधों को प्रभावित करने वाला एक फंगल रोग है जो पौधों की कमजोरी, सूजन और मरने की स्थिति वाला परिणाम दे सकता है।

धनिया का एंथ्रैक्नोस (Anthracnose): इस रोग में धनिया के पत्तों और डालों पर गहरे लाल रंग के दाग बन सकते हैं, जो समय के साथ बढ़ सकते हैं। इससे फलों की कमी और पौधों की वृद्धि में भी कमी हो सकती है।

धनिया का एल्टर्नेरिया ब्लाइट (Alternaria Blight): इस रोग में धनिया के पत्तों पर काले रंग के दाग बन सकते हैं और इससे पत्तियाँ सुखनी शुरू हो सकती हैं।

धनिया का रूट रोट (Root Rot): यह एक अन्य फंगल रोग है, जो धनिया के जड़ों को प्रभावित करता है और पौधों की मौत का कारण बन सकता है।

इन रोगों से बचाव के लिए, सही पोषण, समय पर सीधे रोपण और उपयुक्त रोगनाशकों का उपयोग करना महत्वपूर्ण है। अगर आपको फसल में किसी भी प्रकार की समस्या आती है तो स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह लेना उत्तम रहेगा।

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