नई दिल्ली: मशरूम की फसल को कई प्रकार के रोगों की चपेट में आने का खतरा होता है। ये रोग फसल की विकास अवस्था के विभिन्न चरणों में फसल पर आक्रमण करते हैं। इसे मशरूम की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ता है। परिणामस्वरूप पैदावार की बिक्री के दौरान इसकी उचित कीमत नहीं मिल पाती है। इन रोगों को नियंत्रित करने के लिए उचित प्रबंधन और उपायों की आवश्यकता होती है। मशरूम उगाने वाले किसानों को इसके कुछ प्रमुख रोगों के लक्षणों प्रति सावधान रहना चाहिए और यथाशीघ्र इनके नियंत्रण के उपाय अपनाने चाहिए। ये रोग निम्न हैं:
धूला रोग (Powdery Mildew): धूला रोग मशरूम की पत्तियों पर सफेद या गुलाबी रंग के पौधों की तरह दिखता है। यह रोग अधिकतम आर्द्रता और कम वेंटिलेशन की स्थितियों में होता है।
वेब ब्लाइट (Web Blight): इस रोग में फसल के पौधे और फूलों पर सफेद रंग के धुंधले पड़े होते हैं, जिनमें से बहुत ही पतला और सुतला बूंद बांधा होता है।
ब्राउन स्पॉट (Brown Spot): ब्राउन स्पॉट रोग मशरूम के पत्तों पर गहरे भूरे रंग के बिंदुओं की तरह दिखता है।
डैम्पिंग ऑफ (Damping Off): इस रोग में मशरूम के बीजों और नवजात पौधों के क्षेत्र में रोगाणु फैल जाते हैं और नवजात पौध धूप से बचाव नहीं कर सकते हैं, जिससे वे मुरझा जाते हैं।
कॉमन शोट (Common Scab): यह रोग जमीन में पाया जाने वाला बैक्टीरियम Streptomyces scabies के कारण होता है। इससे मशरूम की त्वचा पर चकत्ते और धाराएं बन जाती हैं।
थैलीमियम ड्यॉडियम (Thielaviopsis basicola): इस रोग से प्रभावित मशरूम के पत्तों पर काले या काले-भूरे रंग के दाग बन जाते हैं, जो समय के साथ बड़े होते जाते हैं।
इन रोगों से बचाव के लिए सही प्रबंधन उपायों का अनुसरण करना, अच्छे बीजों का चयन करना, अच्छे रोपण पद्धतियों का अनुसरण करना, उचित समय पर और सही मात्रा में पानी प्रदान करना, और उचित सिंचाई का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है।