कृषि पिटारा

आलू की ये किस्में किसानों को दे सकती हैं बढ़िया मुनाफा

नई दिल्ली: सब्जियों की खेती करने वाले किसानों के लिए आलू एक प्रमुख फसल है। हमारे देश में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। आलू में पानी की अधिकतम 82 प्रतिशत और स्टार्च की 14 प्रतिशत मात्रा पाई जाती है। इसकी खासियत यह है कि इसे कई दिनों तक अच्छी तरह से स्टोर किया जा सकता है। अब किसान उन्नत वैरायटी के आलू की खेती में रुचि दिखा रहे हैं, जो उन्हें अधिक मुनाफा कमाने में मदद कर रही है। इन उन्नत किस्मों में कुफरी पुखराज, कुफरी सिंदूरी, कुफरी चिप्सोना, कुफरी अलंकार और कुफरी नीलकंठ शामिल हैं।

कुफरी पुखराज किस्म: यह आलू की विशेष वैरायटी में से एक है, जो उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में अधिक मात्रा में उपजाऊ होती है। इसकी खासियत यह है कि यह 100 दिनों के अंदर तैयार हो जाती है।

कुफरी चिप्सोना किस्म: आलू के चिप्स बनाने के लिए इस उन्नत किस्म का उपयोग किया जाता है। इसकी खेती भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में की जाती है। प्रति हेक्टेयर में इसकी पैदावार 300 से 350 क्विंटल तक होती है।

कुफरी अलंकार किस्म: यह उन्नत किस्म 200 से 250 क्विंटल तक की पैदावार देती है। यह 70 दिनों में तैयार हो जाती है और उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में अधिक पैदावार देती है।

कुफरी नीलकंठ किस्म: इस उन्नत किस्म का आलू एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है और ज़्यादा ठंड के मौसम को भी सहन कर सकती है। प्रति हेक्टेयर में इसकी पैदावार अन्य किस्मों से अधिक होती है। यह 90 से 100 दिनों में तैयार हो जाती है। इसका स्वाद बहुत अच्छा होता है। यह किस्म उत्तर भारत के मैदानी इलाकों के लिए बहुत उपयुक्त मानी जाती है।

कुफरी सिंदूरी किस्म: यह भी एक उन्नत किस्म है, जो पाले को भी अच्छी तरह से सहन कर सकती है। पहाड़ी और मैदानी इलाकों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। पहाड़ी इलाके में इसकी फसल जल्दी तैयार हो जाती है। यह 120 से 125 दिनों में तैयार होती है। इन उन्नत किस्मों की खेती कर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

Related posts

Leave a Comment