नई दिल्ली: अक्टूबर के महीने को सरसों की खेत करने के लिए सबसे अच्छा माना गया है। ऐसे में जो भी किसान सरसों की खेती करने की तैयारी कर रहे हैं, वो उचित तैयारी के साथ आगे बढ़ सकते हैं। रबी फसलों में सरसों एक प्रमुख तिलहन फसल है। इसका देश की अर्थव्यवस्था में काफी महत्वपूर्ण स्थान है। क्योंकि सरसों की खेती किसानों के लिए काफी लोकप्रिय व फायदे की खेती है। क्योंकि इस फसल को लेने में ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।
सरसों की फसल को कम लागत में आसानी से किया जा सकता है। इसके अलावा रबी सीजन आते ही अगेती सरसों की खेती शुरू हो जाती है। अगेती सरसों की किस्म की बुआई अक्टूबर के महीने की शुरुआत से दूसरे पखवाड़े तक की जाती है। ऐसे में किसान भाई सरसों की पांच मशहूर किस्मों में से किसी एक को अपना कर अच्छा मुनाफा ले सकते हैं।
ये हैं सरसों की पांच उन्नत किस्में:
आरएच 725: सरसों की ये किस्म 136 से 143 दिनों में पक कर तैयार होती है। इसकी फलियां लंबी होती हैं और फलियों में दानों की संख्या 17 से 18 तक होती है।
पूसा बोल्ड: ये किस्म राजस्थान, गुजरात, दिल्ली और महाराष्ट्र के इलाकों में ज़्यादा उगाई जाती है। इसकी फसल करीब 150 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इस किस्म की उत्पादन क्षमता 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।
राज विजय सरसों-2: सरसों की ये किस्म मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के इलाकों के लिए उपयोगी है। फसल 120 से 130 दिनों में तैयार हो जाती है। रिपोर्ट्स के अनुसार इस किस्म की अक्टूबर में बुवाई करने से 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से पैदावार मिलती है।
आर एच 30: सरसों की ये किस्म हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी राजस्थान क्षेत्रों के लिए सबसे बेहतर होती है। ये किस्म सिंचित और असिंचित क्षेत्रों के लिए काफी उपयोगी है। इस किस्म को पकने में 130 से 135 दिन लगते हैं। अगर 15 से 20 अक्टूबर तक इस किस्म की बुवाई कर दी जाए तो उपज 16 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मिल सकती है। इसमें तेल की मात्रा लगभग 39 प्रतिशत तक होती है।
आरएच-761: सरसों की इस किस्म में ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। इसके अलावा ये पाले के प्रति सहनशील होती है। इस किस्म में 25-27 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन होता है। इसमें 45 से 55 दिन में फूल आने लगते हैं। फसल को तैयार होने में 136 से 145 दिन का समय लगता है।