नई दिल्ली: दाल की महंगाई पर नियंत्रण लाने के उद्देश्य से, केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार अब दाल को गेहूं की तरह बफर स्टॉक से बेचेगी। सरकार की उम्मीद है कि अरहर दाल की आपूर्ति में वृद्धि के कारण कीमतों में कुछ हद तक कमी आ सकती है। वर्तमान में दिल्ली में अरहर दाल की कीमतें बहुत बढ़ गई हैं। लोगों को एक किलो अरहर दाल के लिए 160 से 170 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार ने खाद्य मंत्रालय के माध्यम से अरहर दाल की बिक्री के लिए नेफेड और एनसीसीएफ को आदेश दिया है। नेफेड और एनसीसीएफ ऑनलाइन नीलामी के माध्यम से दाल के उत्पादकों को दाल बेचेंगे, जिससे अरहर दाल की आपूर्ति में वृद्धि हो सके।
केंद्र सरकार ने जनवरी में आटे की महंगाई पर नियंत्रण लाने के लिए इसी तरह का निर्णय लिया था। तब केंद्र सरकार ने लाखों टन गेहूं को बफर स्टॉक से नीलामी के माध्यम से खुद ही बाजार में बेच दिया था। इससे आटे की कीमतों में प्रति किलो 5 से 7 रुपये की गिरावट हुई थी। वर्तमान में दिल्ली में आटा की कीमत 30 से 35 रुपये प्रति किलो हैं, जबकि जनवरी में यह 35 से 42 रुपये प्रति किलो बिक रहा था।
बता दें कि केंद्र सरकार ने 2 जून को आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 को लागू करके दालों की जमाखोरी को रोकने के लिए स्टॉक सीमा तय कर दी थी। तब केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को आदेश दिया था कि 31 अक्टूबर 2023 तक दालों की स्टॉक सीमा निर्धारित की गई है। होलसेल व्यापारियों के लिए सीमा 200 मीट्रिक टन है और खुदरा विक्रेताओं और दुकानदारों के लिए यह सीमा 5 मीट्रिक टन है। मिल मालिकों को कहा गया है कि वे अपनी कुल क्षमता के 25% से अधिक दालों का स्टॉक नहीं रख सकते हैं। यदि कोई व्यापारी सीमा से अधिक दालों की स्टॉकिंग करते हुए पकड़ा जाता है, तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।