नई दिल्ली: पिछले काफी समय से केंद्र सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने की बात कर रही है। हालाँकि, सरकार की तरफ से निर्धारित इसकी समय सीमा भी अब काफी करीब है। इसके साथ-साथ सरकार की ओर से यह प्रयास किया जा रहा है कि किसान रासायनिक खाद के इस्तेमाल में कमी लाएँ और इसके स्थान पर जैविक विधि से की जाने खेती को तरजीह दें। इन्हीं उद्देश्यों से प्रेरित होकर केंद्र सरकार ने नई परंपरागत कृषि विकास योजना की शुरुआत कर रखी है। इस योजना में पंजीकृत किसानों को प्रति एकड़ के हिसाब से सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाती है।
नई परंपरागत कृषि विकास योजना की शुरुआत भारत सरकार के कृषि एवं सहकारिता विभाग की ओर से वर्ष 2015-16 से की गई थी। यह एक क्लस्टर आधारित योजना है। इसके माध्यम से सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। यह योजना राष्ट्रीय सतत्त कृषि मिशन के अंतर्गत मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन का एक घटक है। यह जैविक कृषि को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की ओर से शुरू की गई पहली व्यापाक योजना है। नई परंपरागत कृषि विकास योजना के प्रमुख उद्देश्यों में किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित करना तथा कृषि विधियों में बढ़ते हुए रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के उपयोग को नियंत्रित करना शामिल है।
इस कृषि विकास योजना को अमल में लाने की जिम्मेदारी राज्यों की है। इसके तहत 50 एकड़ क्षेत्र का एक क्लस्टर तैयार किया जाता है। एक क्लस्टर में 50 या उससे अधिक किसानों को शामिल किया जाता है। सरकार ने योजना के शुरुआत के साथ तीन वर्षों के दौरान जैविक खेती के तहत 1000 क्लस्टर बनाने का लक्ष्य रखा था। कृषि एवं सहकारिता विभाग द्वारा क्षेत्रीय परिषद् के रूप में राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र गाजियाबाद से इस योजना के लिए पंजीकरण करवाना होता है। अगर आप यहाँ पंजीकरण करवाने में असमर्थ हैं तो आप अपने राज्य या जिले के कृषि विभाग में जाकर भी रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
इस योजना के तहत हर किसान को तीन वर्षों तक प्रति एकड़ कुछ हजार रुपए देने का प्रावधान किया गया है। इन पैसों का उपयोग किसान फसलों की पैदावार के लिए जरूरी सामान, बीज खरीदने और उपज को बाजार में पहुंचाने के लिए करते हैं। जहाँ तक इस योजना से किसानों को होने वाले फायदों का सवाल है तो इससे प्रमाणिक जैविक खेती के माध्यम से जैविक उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही उपज कीटनाशक मुक्त होंगे, जो उपभोक्ता के अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मददगार साबित होंगे। इस योजना के जरिए सरकार किसानों की आय में बढ़ोतरी करना चाहती है और व्यापारियों के लिए एक संभावित बाजार तैयार करना चाहती है। साथ ही इस योजना के जरिये सरकार किसानों को प्राकृतिक संसाधन जुटाने के लिए भी प्रेरित कर रही है।