नई दिल्ली: बाजरा भारत की एक प्रमुख खाद्य फसल है, जो शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में उगाई जाती है। बाजरा अन्य अनाजों की तुलना में अधिक पोषक तत्वों से भरपूर होता है और इसमें प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, केरोटीन, कैल्शियम, खनिज तत्व, राइबोफ्लेविन और विटामिन बी-6 की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। बाजरे का सेवन करने से शरीर को ऊर्जा मिलती है, वजन को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है, दिल की बीमारियों से बचाता है, ब्लड प्रेशर को संतुलित रखता है, पाचन क्रिया को सुधारता है और कब्ज की समस्या को दूर करता है।
भारत में बाजरे की खेती करने वाले प्रमुख राज्य राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश हैं। भारत में बाजरे के उत्पादन और क्षेत्रफल में राजस्थान राज्य का प्रथम स्थान है। भारत में बाजरे का वार्षिक उत्पादन 85 लाख टन और क्षेत्रफल 85 लाख हेक्टेयर है। भारत बाजरे के उत्पादन में विश्व का अग्रणी देश है। बाजरे की खेती करने के लिए रेतीली बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है, जिसमें जल निकास अच्छा हो। बाजरे की फसल खरीफ के मौसम में बुआई जाती है और वर्षा के आधार पर इसकी पकाव की अवधि 90 से 120 दिन तक होती है। बाजरे की फसल के लिए 400 से 600 मिलीमीटर वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है। बाजरे की फसल को 28 से 32 डिग्री सेल्सियस का तापमान उपयुक्त होता है।
बाजरे की उन्नत खेती करने के लिए वैज्ञानिक तरीकों का अपनाना जरूरी है। बाजरे की खेती में उन्नत किस्मों का प्रयोग करना, खेत की तैयारी में जुताई, बुआई, रोपाई, खाद, सिंचाई, गवारी, रोग और कीट प्रबंधन करना, फसल की कटाई, संग्रहण और विपणन करना आदि आवश्यक कार्य हैं। इन कार्यों को समय-समय पर और वैज्ञानिक रूप से करने से बाजरे की फसल का उत्पादन और गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है।
सरकार किसानों के सहयोग में बाजरे की खेती पर कुछ सुविधाएं प्रदान करती है। जैसे:
अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष-2023 के अवसर पर सरकार ने बाजरे की खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की हैं। इनमें बाजरे की खेती के लिए उन्नत किस्मों, उर्वरकों, फसल सुरक्षा रसायनों और बीजों की आपूर्ति, फसल की खरीद, प्रसंस्करण और विपणन, फसल बीमा, प्रशिक्षण और प्रचार-प्रसार आदि शामिल हैं।
सरकार ने बाजरे के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) निर्धारित किया है, जो 2023-24 के लिए 2,350 रुपये प्रति क्विंटल है। इसके अलावा, कुछ राज्य सरकारें भी बाजरे के लिए अतिरिक्त बोनस देती हैं।
सरकार ने बाजरे को न्यूट्री सीरियल्स घटक की फसलों में शामिल किया है, जिससे इसका उपयोग खाद्य सुरक्षा और कुपोषण निवारण में किया जा सकता है। सरकार ने बाजरे को गरीबों को वितरित करने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में भी शामिल किया है। इनके अलावा, सरकार ने किसानों के लिए और भी कई योजनाएं चलाई हैं, जिनका लाभ लेकर किसान बाजरे की खेती से बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं।