कृषि पिटारा

ड्रैगन फ्रूट की खेती से ऐसे होगी पैसों की बरसात

तिर्वा, कन्नौज: परंपरागत खेती के अलावा अब किसानों ने खेतों में मरीजों के लिए भी खेतीबाड़ी शुरू कर दी। वियतनाम देश का मुख्य फल ड्रैगन फ्रूट से किसान की आर्थिक सेहत भी मजबूत होगी और डेंगू, मलेरिया व वायरल बुखार में कम होने वाली प्लेटलेट्स की भरपाई भी होगी। ये फल सेहतमंद होता है।

कस्बे के अन्नपूर्णा नगर निवासी डा. वैभव श्रीवास्तव दांतों के डाक्टर हैं। मां अन्नपूर्णा मंदिर के पास करीब 22 बीघा का खेत हैं। उसमें भी तक गेहूं, आलू व मक्का की फसल करते थे। इस बार परंपरागत फसल को छोड़कर ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू कर दी है। मां अन्नपूर्णा मंदिर के पास पांच एकड़ के चक में एक एकड़ खेत पर ड्रैगन फ्रूट की पौध लगा दी है। इसकी फसल सिर्फ जैविक खाद से होगी। इसमें यूरिया या फिर कोई भी कीटनाशक दवा नहीं डाली जाएगी। पौध में एक वर्ष बाद ही फूल आना शुरू होगा। इसके बाद फल लगने शुरू होंगे। ये पौधा करीब पांच से छह फुट तक ऊंचा होगा। एक पौध में करीब दो से तीन फल एक बार में लगेंगे। एक फल करीब 200 से 300 ग्राम तक बड़ा होगा। देखने में गुलाबी कलर और बहुत खुबसूरत होता है।

वियतनाम व कोलकाता की पौध

एशिया में एक देश वियतनाम भी है। वहां का ड्रैगन फ्रूट मुख्य फल है। इससे सबसे ज्यादा खेती वियतनाम में होती है। इसके बाद पश्चिम बंगाल के कोलकाता में किसानों ने शुरू की थी। अब यूपी के किसान भी ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू करते जा रहे। जिला उद्यान अधिकारी मिर्जापुर के मेवाराम व कन्नौज के सीपी अवस्थी की निगरानी में खेती शुरू की। कोलकाता से टाइप-सी स्तर की पौध और वियतनाम से टाइप-ए की पौध मंगाई गई है। उसी को रोपा गया।

ऐसे बड़ा होगा पौधा

ड्रैगन का पौधा देखने में बिल्कुल एलोवेरा के जैसा होता है। इसमें कुछ कांटे होते हैं। पौधे की रोपाई सीमेंट के पोल के सहारे की गई। एक पोल के चारों ओर चार पौधे बड़े किए जाएंगे। पांच फुट का पौधा होने पर एक रिंग में पौधे को बांधा जाएगा। इसमें अंकुरित होने की कली से पौध भी तैयार कर ली जाएगी।

सदियों में तैयार होगा फल

एक वर्ष बाद सर्दियों में ही ड्रैगन फल लगने शुरू होंगे। वर्षा में फूल आने लगते और अक्टूबर में फल तैयार हो जाता है। जनवरी तक फल आते रहते। बाजार में एक फल करीब 150 से 250 रुपये तक बिकता है।

इन मरीजों को हाेगा फायदा

ड्रैगन फल हल्का मीठा और स्वादिष्ट होता है। डेंगू, मलेरिया व वायरल बुखार में प्लेटलेट्स कम होने पर मरीज को खिलाया जाता है। इससे बहुत जल्द मरीज में इम्यूनिटी पावर और प्लेटलेट्स बढ़ती हैं। मोटापा नहीं बढ़ने देता और शरीर को तंदुरुस्त बनाता है।

ड्रैगन फ्रूट की खेती की प्रेरणा डीएचओ कन्नौज व मिर्जापुर से मिली है। उनकी निगरानी में खेती शुरू कर गई। अभी पांच बीघे में है और जल्द ही 25 बीघे में खेती होगी।

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