राँची: झारखंड के कई जिलों में सूखे की संभावना के बीच अगस्त महीने की शुरूआत से बारिश में थोड़ी तेजी देखी गई थी। इससे देर से ही सही धान की रोपाई करने वाले किसानों में इस फसल को लेकर थोड़ी उम्मीद जगी। लेकिन विपरीत परिस्थितियों में की जा रही धान की बुआई का असर इसके उत्पादन पर पड़ना तय माना जा रहा है। किसानो को राहत पहुंचाने के लिए राज्य के प्रखंडों में जाकर कृषि विभाग की ओर से सूखे का आकलन किया गया है। इस दौरान पाया गया है कि कई जिलों में किसान ऐसे धान के बिचड़े की रोपाई कर रहे हैं जो पीले हो चुके हैं। क्योंकि इनकी रोपाई का समय बीत चुका है। वैसे तो 25 दिन के बाद बिचड़ा रोपाई के लिए तैयार हो जाता है लेकिन इस बार किसान 40-45 दिन के बिचड़े का प्रयोग कर रहे हैं।
मौसम विभाग द्वारा अच्छी बारिश की भविष्यवाणी के बाद अधिकांश किसानों ने 15 जून से पहले ही बिचड़ा तैयार करने के लिए नर्सरी में धान की बुआई कर दी थी। लेकिन इसके बाद समय से बारिश नहीं हुई। इस वजह से किसान खेत नहीं तैयार कर पाए और देर से रोपाई कर रहे हैं। ऐसे में इस बार धान के उत्पादन में काफी कमी आ सकती है। किसानों की इस परेशानी को देखते हुए कृषि विभाग द्वारा उन्हें वैकल्पिक खेती योजना के तहत सूखा प्रतिरोधी और कम अवधि वाले बीज की रोपाई करने की सलाह दी जा रही है। किसानों से यह भी कहा गया है कि वो डीएसआर विधि का उपयोग करके बीज की रोपाई करें।
आपको बता दें कि राज्य के 12 जिलों में बारिश की स्थिति बेहद गंभीर है। कृषि विभाग जारी द्वारा आंकड़ो के मुताबिक इन जिलों में 17 अगस्त तक 10 फीसदी से भी कम क्षेत्र में धान की बुवाई की गई है। हालांकि बारिश होने के बाद इन जिलों में धान के उत्पादन का आँकड़ा सुधर भी सकता है। कृषि विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 17 अगस्त तक केवल 30.60 प्रतिशत क्षेत्र में धान की बुआई हो सकी है, वहीं धान, मक्का, दलहन, तिलहन और मोटे अनाज सहित राज्य का कुल बुआई का कवरेज 37.63 प्रतिशत तक दर्ज किया गया है।