कृषि पिटारा

प्याज की कीमत नियंत्रित करने के लिए सरकार की ये है तैयारी

वर्तमान में, भारत में प्याज की कीमतों में तेजी देखी जा रही है और इसके परिणामस्वरूप प्याज की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में नहीं हो रही है। इस परिस्थिति में, सरकार ने प्याज की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए तैयारी की है। सरकार ने 3 लाख टन प्याज खरीदा है, जो पिछले साल के बफर स्टॉक से 20 फीसदी अधिक है। इसके अलावा, सरकार प्याज की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीआरसी) के साथ प्याज पर रेडिएशन की टेस्टिंग भी कर रही है।

वित्त वर्ष 2022-23 में, सरकार ने पहले से ही बफर स्टॉक के तौर पर 2.51 लाख टन प्याज रखा हुआ है। जब कम सप्लाई के मौसम में कीमतें बढ़ जाती हैं, तो प्राइस स्टेबलाइजेशन फंड (पीएसएफ) के तहत बफर स्टॉक बनाया जाता है। सरकार ने इस वर्ष 3 लाख टन तक का मजबूत बफर तैयार किया है। इससे पहले भी, सरकार ने पीएसएफ के तहत रबी-2022 फसल से रिकॉर्ड 2.51 लाख मीट्रिक टन प्याज खरीदी थी। यह प्याज सितंबर 2022 और जनवरी 2023 के दौरान प्रमुख कंजंपशन सेंटर्स में जारी की गई थी।

भारत में प्याज की खेती अक्सर रबी सीजन में की जाती है और इसकी कटाई अक्टूबर महीने में शुरू होती है। अभी खरीफ प्याज की बुआई चल रही है और अक्टूबर में इसकी आवक शुरू हो जाएगी। आमतौर पर, खुदरा बाजारों में प्याज की कीमतें 20 दिनों या उससे भी अधिक के लिए स्थिर रहती हैं, जब तक ताजा खरीफ फसल बाजार में नहीं आ जाती। लेकिन इस बार, सरकार के इस पहल के कारण, किसानों और उपभोक्ताओं को प्याज की कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।

इसके अलावा, सरकार प्याज की शेल्फ लाइफ को बढ़ाने के लिए पायलट परमाणु ऊर्जा विभाग और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के साथ मिलकर एक तकनीक की टेस्टिंग कर रही है। महाराष्ट्र के लासलगांव में कोबाल्ट-60 और गामा रेडिएशन के साथ 150 टन प्याज पर परीक्षण किया जा रहा है, जिससे प्याज की शेल्फ लाइफ बढ़ाई जा सकेगी।

वर्तमान में, देश में सबसे सस्ता प्याज नीमच में मिल रहा है, जहां इसकी कीमत 10 रुपये प्रति किलोग्राम है। वहीं, सबसे महंगा प्याज नगालैंड के शेमेटर शहर में मिल रहा है, जहां इसकी कीमत 65 रुपये प्रति किलोग्राम है। राष्ट्रीय स्तर पर, प्याज की औसत कीमत 26.79 रुपये प्रति किलोग्राम है।

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